वर्तमान समय में अनेक भयानक एवं जानलेवा बिमारियों में मधुमेह यानी डायबिटीज भी शामिल है। रक्त में शर्करा (शुगर) की मात्रा अधिक हो जाने के कारण रोगी का शरीर धीरे—धीरे दुर्बल होने लगता है, आंखों की रोशनी धीरे—धीरे कम होने लगती है, मूत्र बार—बार और अधिक मात्रा में आने लगता है। हर वक्त थकान व हाथ—पैरों में पीड़ा सी रहने लगती है। मुंह से हर वक्त दुर्गंध आने लगती है। शरीर पर अगर किसी प्रकार का घाव होता है तो उसके ठीक होने में देर लगने लगती है। प्यास अधिक लगती है परन्तु पसीना कम आता है।
मधुमेह निवारक कारगर उपाय
मधुमेह का निदान होते ही योग्य चिकित्सक के सम्पर्क में जाकर चिकित्सा प्रारंभ कर देनी चाहिए। विलम्ब करने से अधिक हानि होने की संभावना बनी रहती है। मधुमेह होने पर या उससे पूर्व अपने अन्दर रक्त शर्करा की मात्रा को संतुलित व नियंत्रित करने के लिए निम्नांकित प्रयोगों का इस्तेमाल बिना किसी हिचक के कर सकते हैं। पच्चीस वर्षों के अन्दर किए गये चिकित्सा अनुभवों पर आधारित ये तथ्य पाठकों के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं। फलों में बलवृद्धि, ओज व चुस्ती प्रदान करने के साथ ही रोग निरोधक अपार शक्तियां भी होती है। कई बार के सफल अनुभवों का सार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
कच्चे पपीते का प्रयोग
पपीते में अवस्थित कुल शर्करा का आधा भाग ग्लूकोज के रूप में और आधा फल शर्करा के रूप में होता है। कच्चे पपीते के सफेद रस में नाम का पाचक रसपर्याप्त मात्रा में होता है। मधुमेह के मरीज को अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है। ऐसे में भोजन में नित्य कच्चे पपीते का भुर्ता अपनाएं। इसके लिए कच्चे पपीते को छीलकर दाल में पकाएं और पकने पर उसे दाल से अलग कर मसल डालें। नींबू का रस, हरी मिर्च, धनिया पत्ता काटकर इसमें मिला दें। स्वाद के अनुसार नमक मिला दें। पेट को ठीक रखकर पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला योग है। इसके नियमित प्रयोग से मधुमेह से बचा जा सकता है।
टमाटर का प्रयोग—आयुर्वेद के मतानुसार टमाटर लघु, स्निग्ध, उष्ण, दीपक, पाचक, सारक, कफनाशक तथा वायुहर होता है। टमाटर में कार्बोदित पदार्थों का प्रमाण अत्यधिक कम होने से मधुमेह के रोगियों के लिये यह उत्तम आहार होता है। साथ ही टमाटर का रस जठर और आंतों को भी स्वच्छ करता है तथा मूत्रपिण्ड के रोगों में भी उपयोगी होता है। रस निकालने की विधि से पूरे पके लाल—लाल टमाटरों का रस एक चाय के गिलास भर निकाल लीजिए। उसमें हल्का सा सेंधव नमक व कालीमिर्च का पाउडर डालकर सुबह नाश्ते के बाद नियमित रूप से सेवन कीजिए। इसके सेवन से मूत्र में शक्कर आना धीरे—धीरे बंद हो जाता है। यह खून की मात्रा में वृद्धि करता है तथा रक्त की सफाई भी करता है।
करेला का प्रयोग
मधुमेह के रोगी को नित्य १५ ग्राम करेले का रस १०० ग्राम पानी में मिलाकर तीन बार तक पीना चाहिए। कच्चे करेले के रस को ही फायदेमंद बताया जाता रहा है परन्तु मैंने अनेक रोगियों पर उबले करेले के रस का प्रयोग कर अप्रत्याशित लाभ पाया है। इसके लिए करेले को टुकड़े—टुकड़े कर पानी के साथ खुले भगौने में १५ मिनट तक धीमी आंच पर उबाल लें। कुकर में न पकाएं। ठंडा होने पर कपड़े से इसका रस छान लें और स्वाद के अनुसार नमक मिलाकर घूंट—घूंट कर पिएं । कुछ ही दिनों के सेवन से अत्यधिक लाभ दिखाई देने लगता है।
मेथी का प्रयोग:— ऐसा देखा गया है कि जिनका मधुमेह (शूगर) इन्सुलीन से भी कन्ट्रोल में नहीं आता है ऐसे रोगियों को भी मेथी ठीक कर देती है। मेथी के दानों का चूर्ण (पाउडर) बनाकर रख लें। नित्य प्रात: काल बिना कुछ खाए दो चम्मच चूर्ण पानी के साथ निगल लें। इसकी अद्भुत क्षमता आप देखकर चकित रह जाएंगें।
अन्य कारगर प्रयोग:— बार—बार प्यास लगने की स्थिति में नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीना लाभदायक होता है। मसालों में अदरख,सौंठ, हल्दी,हींग एवं मेथीदाना का प्रयोग लाभदायक होता है। बार—बार पेशाब लगने की अवस्था में तथा अधिक मात्रा में पेशाब आने पर ८ ग्राम पिसी हल्दी रोज पानी के साथ फांके । इससे राहत मिलती है।
क्या खायें :मधुमेह में गेहूं, चना, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसे अनाजों का प्रयोग अधिक लाभप्रद होता है। पत्ते वाली सब्जियां, कड़वी सब्जियां करेला, सहजन की फलियां, ग्वार की फली, कच्चा बेल, बेल तथा नीम की पत्तियां, मूली, करेला, जामुन, टमाटर, फल, सूखा मेवा आदि चीजें मधुमेह के रोगी के लिए श्रेष्ठ आहार माने जाते हैं।
क्या न खायें— ग्लूकोज, चीनी, मिश्री, जैम, जैली, गुड़, मिठाई, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्रीज,चाकलेट, ओबलटीन, बोर्नबीटा, हार्लिक्स, मीठे बिस्कुट, तले हुए पदार्थ (पूरी, परांठा, पकौडी, समोसा, मठरी, चिप्स, मैगी आदि), सुखे मेवे, बादाम,खजूर, तिल, राजमां, केला, गन्ना, नारियल, आम, अंगूर, लीची, अरबी, अल्कोहल युक्त पदार्थ, व्यावसायिक ठंडे पेय, कॉफी मीठा दूध, चाय आदि का सेवन मधुमेह के रोगियों को कतई नहीं करना चाहिए।
सटीक आयुर्वेदिक उपचार
जामुन की गुठली या जामुन की छाल, बेल के पत्ते, नीम के पत्ते, सूखा करेला, चिरायता, गिलोय, आंवला, गुडमार, बूटी, काला जीरा और पनीर समभाग लेकर चूर्ण बनावें और ६—६ ग्राम की मात्रा में ताजे जल से प्रात: सायं नियमित लेते रहने से मधुमेह रोग जड़ से नाश हो जाता है। बीच—बीच में रक्त का परीक्षण कराते रहें। सैकडों व्यक्तियों पर आजमाया हुआ यह नुस्खा है। बहुत अधिक तनाव या शारीरिक—मानसिक परिश्रम हानि भी पहुंचा सकता है। चर्बी युक्त भोजनों का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए। नियमित दिनचर्या, प्रात: का टहलना, सूर्य की रोशनी का सेवन हर प्रकार से फायदेमंद होता है। किसी भी प्रकार का नशा जानलेवा हो सकता है। हमेशा थोड़ा—थोड़ा खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है अत: भरपेट ठूँसकर खाने से परहेज करना अति आवश्यक होता है। फलो के नियमित सेवन से न सिर्फ स्वस्थ ही रहा जा सकता है बल्कि मधुमेह सरीखी भयानक बीमारियों से भी सुरक्षित रहा जा सकता है।