Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
मनवा! तेरी न कोई सीमा!
June 12, 2020
भजन
jambudweep
मनवा! तेरी न
मनवा! तेरी न कोई सीमा।
ढूँढा जग में सभी जगह, पर मुझको मिला कहीं ना।।
मनवा! तेरी न कोई सीमा।। टेक.।।
ऊँचे पर्वत गहरी नदियाँ, लम्बी चौड़ी वसुधा।
8 सबको युग ने नाप लिया, पर तुझको नाप सका ना।।
मनवा! तेरी न कोई सीमा।।१।।
तू मस्तक में है या दिल में, बोल कहाँ तेरा बीमा।
सबको वश में करता है तू, फिर भी दिखे कहीं ना।।
मनवा! तेरी न कोई सीमा।।२।।
तुझको वश में करने वाले, आज भी हैं दुनिया में।
छोड़ परिग्रह सन्त बने जो, तुझमें रमें कभी ना।।
मनवा! तेरी न कोई सीमा।।३।।
छोड़ दे अपना अहम तू मनवा, मेरे वश में आ जा।
रमण निजातम में हो ‘चंदना’, तब पूरी हो सीमा।।
मनवा! तेरी न कोई सीमा।।४।।
Previous post
मंदिर में श्रंगार भला किस लिए है!
Next post
मंत्रो में प्यारा मंत्र नवकार!
error:
Content is protected !!