ॐ जय मल्लिनाथ स्वामी, प्रभु जय मल्लिनाथ स्वामी।।
शल्य नशें भक्तों की, होवें निष्कामी।।ॐ जय…।।टेक.।।
चैत्र सुदी एकम को, गर्भ बसे आके।।स्वामी.।।
प्रजावती मां कुम्भराज पितु, अतिशय हर्षाते।।ॐ जय…।।१।।
जन्म हुआ मिथिला में, मगशिर सुदि ग्यारस।।स्वामी.।।
इसी दिवस शुभ दीक्षा लेकर, सफल किया स्वारथ।।ॐ जय…।।२।।
पौष कृष्ण दुतिया को, केवलरवि प्रगटा।।स्वामी.।।
इन्द्र स्वयं आकर तब, समवसरण रचता।।ॐ जय…।।३।।
फाल्गुन सुदि सप्तमि को, मोक्षधाम पाया।।स्वामी.।।
सम्मेदाचल पर जा, स्वात्मधाम पाया।।ॐ जय…।।४।।
स्वर्ण शरीरी पर अशरीरी, बने मल्लिप्रभु जी।।स्वामी.।।
करे ‘‘चंदनामति’’ तव वन्दन, तुम सम बने मती।।ॐ जय…।।५।।