प्रश्न – चंदनबाला बाजार में बेची गई थी क्या ?
उत्तर – नहीं, चंदनबाला को विद्याधर ने हरा था, पुन: वन में छोड़ दिया था। वहाँ पर भील उसे अपने घर ले गया पुन: भील ने अपने मित्र को दिया, उसने सेठ के घर पहुँचा दिया था। बाजार में बेचने का प्रकरण दिगम्बर जैन ग्रंथों में नहीं है। यह भी श्वेताम्बर ग्रंथों में है । भगवान महावीर को पड़गाहन करते समय उसके पुण्य से व शील के प्रभाव से उसकी बेड़ियाँ टूट गई थीं। कोदों का भात खीर बन गया था आदि……..। दिगम्बर जैन ग्रंथों का स्वाध्याय करके ही उसके आधार से बोलना चाहिए ।