महाहिमवन् पर्वत का विस्तार भरत क्षेत्र से आठगुणा है अर्थात् ४२१०-१०/१९ योजन (१६८४२१०५-५/१९ मील) है। इस पर्वत की ऊँचाई २०० योजन (८००००० मील) है यह पर्वत चाँदी के सदृश है। इस महाहिमवान् पर्वत के दोनों पार्श्व भागों में रमणीय वेदी और वन हैं।
इनकी लम्बाई इसी पर्वत के बराबर है एवं विस्तार आदि हिमवान् पर्वत के समान है। इसी पर्वत के ऊपर पूर्व दिशा के क्रम से सिद्धकूट, महाहिमवन्, हैमवत्, रोहित, ह्री, हरिकांत, हरिवर्ष और वैडूर्य ये आठ कूट हैं। हिमवान् पर्वत के कूटों से इन कूटों की ऊँचाई और विस्तार आदि सब दुगुना-दुगुना है। जिन नामों के ये कूट हैं, उन्हीं नाम वाले व्यंतर देव एवं देवी उन कूटों पर रहते हैं। ये सभी देव-देवियाँ अनुपम रूप युक्त शरीर के धारक बहुत से परिवार देवों से युक्त हैं।