रसोईघर सिर्फ पेट भरने के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की ही एक अच्छी पाकशाला नहीं है वरन् वहां उपलब्ध अनेक मसाले स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाये रखने में भी सहायक होते हैं। रसोईघर की अनेक वस्तुओं में से एक वस्तु है—अजवाइन। प्राचीनकाल से ही ‘अजवाइन’ का प्रयोग घरेलू दवा के रूप में होता आ रहा है। इसका मसालों में भी उच्च स्थान है।अजवाइन के बीज, पत्तियां, तेल, अर्क तथा सत्व सभी भाग औषधि—प्रयोग में आते हैं। अजवाइन की उपयोगिता उपचार में इसके बीजों की वजह से है।जिसमें से सत निकाला जाता है। अजवाइनके बीजों से निकाला गया तेल भी औषधीय दृष्टिकोण से अत्यन्त लाभदायक है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार स्त्री रोगों के लिए अजवाइन रामबाण औषधि है। प्रसूता महिलाओें की कब्ज, गैस, जरायु विकारों को दूर करने में अजवाइन का कोई जवाब नहीं है। ऋतुस्राव की अनियमितता को दूर करके उसे सामान्य बनाना, रक्तप्रदर की बीमारी में लाभ पहुंचाना तथा बांझपन की अवस्था में स्त्री को गर्भधारण योग्य बनाना भी अजवाइन का काम है। प्रसवोपरान्त अजवाइन तथा गुड़ मिलाकर प्रयोग करने से लाभ मिलता है। इस मिश्रण के प्रयोग से कटिपीड़ा का भी निदान होता है। गर्भाशय शुद्ध होने के साथ ही उदर की गैस भी समाप्त हो जाती है। भूख बढ़ जाती है तथा प्रसवोपरान्त का बुखार रूक जाता है। बच्चे को जन्म देने के बाद प्रसूता के बदन पर अजवाइन के चूर्ण व नारियल तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से उसमें शारीरिक सौन्दर्य बढ़ जाता है। दो कप पानी में चार चाय चम्मच अजवाइन डालकर उसे आग पर जब तक खोलायें, जब तक एक कप पानी शेष न रह जाये। इसमें स्वादानुसार थोड़ा गुड़ डालकर चाय के समान घूट—घूट करके पी लें। यही अजवाइन का काढ़ा होता है। इस योग को ऋतुस्राव के प्रारम्भ होने के तीन दिन पहले से भी किया जा सकता है। अगर क्वाथ बनाना संभव न हो तो अजवाइन के चूर्ण को भी गर्म जल के साथ लिया जा सकता है।