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माँ अभयमती!
August 19, 2017
भजन
jambudweep
माँ अभयमती
तर्ज— होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो……….
हे माँ श्री अभयमती तुम याद बहुत आये।
तेरी शान्त छवि लख मन वैरागी बन जाये।। हे माँ श्री अभयमती…….
बचपन से ही मन में वैराग्य का कमल खिला।
माँ ज्ञानमती जैसी गुरु का जब संग मिला।।
जीवन की दिशा बदली तन मन सब हरषाए। हे माँ श्री अभयमती…….
संयम ही मानव का अनमोल ये गहना है।
हुआ पार वही भव से जिसने इसे पहना है।।
तप त्याग तथा संयम ही तेरे मन भाए। हे माँ अभयमती ………
तुमने कई ग्रंथ लिखे, उपसर्ग विजेता हो।
युग की हो बालयती तुम्हें वन्दन मेरा हो।।
तेरे यश की सुरभि चहुँदिश ‘प्रदीप’ छाए। हे माँ श्री अभयमती…….
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