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माँ! चरणों में तुम्हें नमस्ते…….!
June 14, 2020
भजन
jambudweep
माँ! चरणों में तुम्हें नमस्ते…….
ज्ञाननन्दनी वरदनन्दनी ज्ञानमती माँ तुम्हें नमस्ते।।१।।
आशा हो जन-जन की तुम माँ अत: तुम्हें सविनम्र नमस्ते।।२।।
नारी पद की पराकाष्ठा तुमने धारी तुम्हें नमस्ते।।३।।
गगन चुम्बि चारित अवधारी करते लाखों भक्त नमस्ते।।४।।
ज्ञानी-ध्यानी हो विज्ञानी रत्नत्रय की मूर्ति नमस्ते।।५।।
जम्बूद्वीप निर्माण सुकत्र्री पद कमलों में सदा नमस्ते।।६।।
बचपन में वैराग्य को साधा अत: बालयोगिनी नमस्ते।।७।।
मोहपाश से खुद को निकाला खुदा रूप माँ तुम्हें नमस्ते।।८।।
दीक्षा को फिर कदम बढ़ाया बनीं आर्यिका मातु नमस्ते।।९।।
अविचल अविरामी पुरुषार्थी सुभट विजेता चरण नमस्ते।।१०।।
आगम दर्पण बनकर आयीं अत: वरूं तव शरण नमस्ते।।११।।
दु:ख हरती सुख देती जन को शांति प्रदाता तुम्हें नमस्ते।।१२।।
सहज सुन्दराकृति वसुधा की कुदरत करती तुम्हें नमस्ते।।१३।।
ज्ञानस्रोत अद्भुत निर्झरणी सरस्वती प्रतिमूर्ति नमस्ते।।१४।।
धर्म सूर्य हो भक्त गगन में, भक्तों को अविराम नमस्ते।।१५।।
प्रथम लेखिका हो इस युग की स्वीकारो मम लिखित नमस्ते।।१६।।
ब्राह्मी सुन्दरी का पथ धारा अत: आचरित चरण नमस्ते।।१७।।
संयम रथारूढ़ हो माता निज सारथि को करूँ नमस्ते।।१८।।
स्वर्ण संयमावर्ष हितंकर पद वंदन अरु सहस नमस्ते।।१९।।
दो वरदान ज्ञानवृद्धि हो रहूँ पाश्र्व तुम चरण नमस्ते।।२०।।
इक्कीस प्रकृति यूँ क्षय कर पाऊँ क्षायिक श्रेणी हेतु नमस्ते।।२१।।
माँ ज्ञानमती की ‘‘आभा’’ जग में चरणों में आ करें नमस्ते।।२२।।
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