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मांगीतुंगी तीरथ पुराना!
June 16, 2020
भजन
jambudweep
मांगीतुंगी तीरथ पुराना
तर्ज-दीदी तेरा…….
मांगीतुंगी तीरथ पुराना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।
तुंगी पर्वत ऊँचा सुहाना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।।टेक.।।
न पर्वत हैं तीरथ, न सरवर हैं तीरथ, जिनेन्द्रों की महिमा से बनते हैं तीरथ।।
भवसिन्धु से जो तिरावे जगत को, वही माने जाते हैं सच्चे तीरथ।।
तीरथ की कीरत बढ़ाना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।।१।।
इसी गिरि से निन्यानवे कोटि मुनियों ने, तप करके शिवलक्ष्मी पाया उन्होंने।
उन्हीं की तपस्या का अतिशय वहाँ पर, दिखा करता है दर्श पाया जिन्होंने।।
वन्दन करके पुण्य कमाना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।।२।।
चौबीस जिनबिम्ब से युत जिनालय, जिनवर श्री मुनिसुव्रत मूलनायक।
श्रेयांससागर गुरू की प्रेरणा से बना है वृहत्काय मंदिर सुखालय।
सबको श्रद्धा से सिर झुकाना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।।३।।
इस तीर्थ पर प्रभु ऋषभदेव की, इक सौ अठ फुट की प्रतिमा प्रगट हो रही है।
कलिकाल की सबसे ऊँची ये प्रतिमा, प्रभु कीर्ति को ‘‘चन्दना’’ कह रही है।।
पर्वत वंदन करके ही जाना, प्रभु राम को मोक्ष यहीं माना।।४।।
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