भरत क्षेत्र के पास समुद्र के दक्षिण तट से संख्यात योजन जाकर आगे मागध, वरतनु और प्रभास नाम के तीन द्वीप हैं। अर्थात् गंगा नदी के तोरण द्वार के आगे कितने ही योजन प्रमाण समुद्र में जाने पर ‘मागध’ द्वीप है। जम्बूद्वीप के दक्षिण वैजयंत द्वार के कितने ही योजन समुद्र में जाने पर ‘वरतनु’ द्वीप है एवं सिंधु नदी के तोरण से कितने ही योजन जाकर ‘प्रभास’ द्वीप है। इन द्वीपों में इन्हीं नाम के देव रहते हैंं इन देवों को भरत क्षेत्र के चक्रवर्ती वश करते हैं।
ऐसे ही ऐरावत क्षेत्र के उत्तर भाग में रक्तोदा नदी के पार्श्व भाग में समुद्र के अंतर ‘मागध’ द्वीप, अपराजित द्वार से आगे ‘वरतनु’ द्वीप एवं रक्ता नदी के आगे कुछ दूर जाकर ‘प्रभास’ द्वीप हैं जो कि ऐरावत क्षेत्र के चक्रवर्तियों के द्वारा जीते जाते हैं।