तर्ज—ऊँचे-ऊँचे शिखरों वाला है……
माता की जन्मजयंती है, सब मिलके मनाओ।
मिलके मनाओ, सभी खुशियाँ मनाओ।। माताजी की…… ।। टेक.।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी, शरदपूर्णिमा तिथि में जन्मीं।
उनकी ही जन्मजयंती है, सब मिलके मनाओ।। माताजी की……।।१।।
यौवन को अपने तप में बिताया, तप से ही मन को कुन्दन बनाया।
उनकी है जन्मजयंती है, सब मिलके मनाओ।। माताजी की……।।२।।
ज्ञानमती नाम सार्थक किया है, जग को ज्ञान का अमृत दिया है।
उनकी ही जन्मजयंती है, सब मिलके मनाओ।। माताजी की……।।३।।
जिनधर्म की कीर्ति इनसे बढ़ी है, श्रुतज्ञान की इनसे सरिता बही है।
उनकी ही जन्मजयंती है, सब मिलके मनाओ।। माताजी की……।।४।।