इंद्र और प्रतीन्द्र आदि देव तथा इनकी देवियों का अति स्निग्ध, अनुपम, अमृतमय आहार होता है। चमर और वैरोचन इन दो इंद्रों के १००० वर्ष के बाद आहार ग्रहण होता है। इसके आगे भूतानंद आदि छह इंद्रों के साढ़े बारह दिनों में आहार होता है। जलप्रभ आदि छह इंद्रों के १२ दिन में और अमितगति आदि छह इंद्रों के साढ़े सात दिन में आहार ग्रहण होता है। दस हजार वर्ष की जघन्य आयु वाले देवों का आहार दो दिन में, पल्योपम की आयु वालों के पाँच दिन में भोजन का अवसर आता है। इन देवों के मन में भोजन की इच्छा होते ही उनके कंठ से अमृत झरता है और तृप्ति हो जाती है इसी का नाम मानसिक आहार है।