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मौजूदा दौर में अगर किसी समस्या का जिक्र किया जाए जिससे दुनियां का हर एक व्यक्ति जूझ रहा है। यकीनन यह मानसिक तनाव ही होगा। आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में यही मानसिग तनाव रूपी मन का रोग एक काली छाया की तरह संपूर्ण मानव जाति को अपने आहार के रूप में निगलता जा रहा है। भले ही बड़े वैज्ञानिकों को यह चिंता दिन रात सता रही हो कि डायनासोर जैसा विशालकाय पक्षी इस पृथ्वी से कैसे लुप्त हो गया परंतु मानव जाति का कभी अंत हुआ तो उसका मानसिक तनाव का कारण भी इसी तरह उनके लिए एक पहेली बनकर रह जाएगा। वैसे तो मानसिक तनाव कोई रोग नहीं है फिर भी यह मन को भ्रमित कर बेचैन करने के बाद शरीर को निष्क्रिय बना देता है जिससे व्यक्ति बहुत बहमी किस्म के हो जाते हैं। ऐसे रोगियों के इलाज में सावधान कुछ ज्यादा ही बरतनी पड़ती है नहीं तो मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति को डायबिटिज और रक्तचाप की समस्या भी अपने घेरे में ले लेती है तथा दय रोग होने से भी व्यक्ति की पीड़ाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए मानसिक रोगियों को डाक्टरों द्वारा अधिकाधिक विश्राम करने की नेक सलाह दी जाती है। डाक्टरों की माने तो मानसिक रोगियों को शांत होने में तकरीबन कम से कम पांच से छ: घंटे का वक्त लग जाता है। अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिरकार व्यक्ति को मानसिक तनाव रूपी मन का रोग क्यों होता है? तो इसके बहुत से कारण विद्यमान है। यह तकलीफ मनोभावों से जुड़ी है सो यह अधिक सोच विचार करने से उत्पन्न होती है। इसके अलावा, एकांत में रहने से और अधिक आकांक्षाएं पालने से भी पीड़ाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि जब मनुष्य अपने आसपास के माहौल से तारतम्य न ही बैठापाना, तब वह तनाव ग्रसित हो उठता है।
फलस्वरूप व्यक्ति को भय, चिंता, घबराहट व मानसिक उत्तेजना आदि महसूस होने लगती है और वह चिड़चिड़ा होने के साथ—साथ आत्म हत्या की प्रवृत्ति , मरने का डर आदि मानसिक विकृतियों से ग्रसित हो जाता है। आइए, अब जानते हैं उन तमाम कारगर उपायों के बारे में जिनसे हमें मुfक्त मिलेगी। मानसिक तनाव से बचने का पहला तरीका यह है कि जिंदगी में तनाव है तो फिक्र नहीं करें बल्कि जो हमारे पास है उसका भरपूर आनंद लें और जो नहीं है उसे सोच कर व्यर्थ परेशान नहीं हों। जहां तक हो सके, जहां तक हो सके, मन की खुशी को गुम न होने दें और प्रकृति से प्रेम बनाएं रखें यानी कि सुबह सुबह सैर पर निकले । यकीनन इन सबसे आपका बढ़ता तनाव धीरे—धीरे कम हो जाएगा। मानसिक तनाव मुक्ति का दूसरा कारगर कदम है कि हम दूसरों की बुराइयों को देखने की प्रवृत्ति का त्याग कर दें क्योंकि जितना हम दूसरों की बुराइयों को देखेंगे, अपने लिए उतने ही शत्रुता तैयार करेंगे, इसलिए आपसी रिश्तों को मधुर बनायें। तनाव खुद व खुद नतमस्तक हो जाएगा।किसी ने ठीक ही कहा है कि चिंता चित्ता ही कहा है कि चिंता न करें। जो होता है अच्छे के लिए ही होता है मानकर चलें। इस तरह आपका तनाव छूमंतर हो जाएगा। इसके अतिरिक्त तनाव पर विजय पाने के लिए आप सूर्य नमस्कार नियमित करें व ताली बजाएं। हकीकत में यह आपके तनाव की थकान को सौ फीसदी खत्म कर नई स्फूर्ति प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। सुबह आधा घंटा पैदल चलने, पर्याप्त नींद लेने, रोजाना डायरी बनाने, व्यायाम करने आदि से भी इस समस्या से निजात पाया मिल सकती है।