जो भी हमारे जीवन में अच्छा—बुरा होता है या बीमारियाँ होती हैं, वे हमारे मानसिक वैचारिक पैटर्न के परिणामस्वरूप होती हैं। हमारे वैचारिक पैटर्न हमारे लिए अच्छे, सकारात्मक अनुभव की संरचना करते हैं, जिसका हम आनंद उठाते हैं। यहाँ पर नकारात्मक वैचारिक—पैटर्न है, जो हमारे लिए कष्टदायी, दुखद परिणामदायक फल देते हैं, उन्हीं का जिक्र कर रहे हैं। यह हमारी दिली इच्छा होती है कि हम अपनी बीमारियों को दूर भगाकर अच्छा स्वास्थ्यप्रद जीवन बिताएँ। हम यह जान गए हैं कि हमारे जीवन की प्रत्येक घटना के पीछे, पहले एक वैचारिक पैटर्न चल रहा होता है अत: अपने सोचने का तरीका बदलकर हम अपने अनुभवों को बदल सकते हैं। मुझे कितनी खुशी हुई जब हमें पराभौतिकीय प्रभाव शब्द का पता चला। इससे हमें शब्दों और विचारों की शक्ति का पता चला है, जिससे हमारे अनुभव बनते हैं। इस नई जागरुकता ने हमें बताया कि हमारे विचारों और शरीर के अंगों में परस्पर संबंध है और उनसे क्या शारीरिक समस्या पैदा हो सकती है ? इससे हमें यह पता चला कि कैसे अनजाने ही हमने अपने अंदर रोग पैदा कर लिए हैं और इससे हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन या बदलाव आया। यह जानकर हमने अपने शरीर के अंदर की गड़बड़ियों के लिए अपने जीवन और दूसरे लोगों को दोष देना बंद कर दिया। अब मैं अपने स्वास्थ्य की पूरी जिम्मेदारी स्वयं ले सकती थी। बिना अपनी भर्त्सना किए या अपने ऊपर दोष लगाए। मुझे यह पता चल गया कि कैसे बीमारी पैदा करने वाले सोच—विचारों से बचा जाए ? उदाहरण के तौर पर मुझे यह नहीं समझ में आ रहा था कि मेरी गर्दन बार—बार अकड़ क्यों जाती थी, स्टिक क्यों हो जाती थी ? फिर मैंने पाया कि गर्दन किसी मसले पर फ्लेक्सिबल या लचीलापन का रुख होने को प्रदर्शित करती है यह योग्यता प्रदान करती है कि किसी भी समस्या को आप कई दृष्टिकोणों से देख सकें। मैं अभी तक बहुत ही कड़ा रुख रखने वाली महिला थी। किसी भी मसले के दूसरे पहलू को देखने या सुनने से इंकार कर देती थी, भय के कारण। पर दूसरों की प्यार भरी समझदारी के कारण, मेरे सोच—विचार में लचीलापन आया और मैं दूसरों के दृष्टिकोण भी समझने की कोशिश करने लगी, इससे मेरे गले की समस्या दूर हो गई। अब जब मेरी गर्दन में अकड़न होती है, तो मैं यह सोचने लगती हूँ कहाँ पर मेरे सोच—विचार में दृढ़ता या कड़ापन आ गया है।