A particular meditational conception about the power of air.
एक विशेष प्रकार की धारणा” आग्रेयी धारणा के उपरान्त योगी द्वरा आकाश में पूर्ण होकर विचरण करते हुए महावेगवान वायुमंडल का चिंतन करना तथा इस प्रबल वायुमंडल ने अग्रि में जले शरीर की आदि की भस्म को उड़ा दिया है और फिर वायु शांत हो गई–एसा चिंतवन करना”