आंवले से हम सभी चिर—परिचित हैं और अधिकांश लोग इसके औषधीय महत्व को भी भलीभांति जानते हैं। घरों में आंवले का अचार और मुरब्बा बड़े शौक से तैयार किया जाता है और इसका सेवन भी सेहत बनाने वाला होता है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान भी आंवले के औषधीय गुणों का लोहा मानता आया है। आदिवासी भी आंवले को अनेक हर्बल फार्मूलों में एक महत्वपूर्ण औषधि के तौर पर उपयोग में लाते हैं। चलिए आज जानते हैं आंवले के उन गुणों को जिनका जिक्र शायद कम लोगों ने ही सुना हो। मुंह के छाले होने पर आंवले की पत्तियों को चबाया जाए, छालों में आराम मिल जाता है। खाना खाते समय अगर जीभ दांतों के बीच आ जाए और खून निकल आए, तो तुरंत आंवले की पत्तियां चबा लें। आंवले के सूखे फलों और पत्तियों की समान मात्रा (लगभग ४ ग्राम प्रत्येक) ली जाए और इन्हें कुचल लिया जाए। इस मिश्रण में हल्दी का चूर्ण मिलाया जाए और दिन में कम से कम दो बार भोजन के बाद लिया जाए , आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार मधुमेह के नियंत्रण के लिए यह फार्मूला काफी कारगर है। डांग— गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार आंवले के कच्चे फलों का रस (एक गिलास) तैयार कर इसमें करीब २ ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन लिया जाए, तो यह काफी स्फूर्तिदायक होता है। यह मधुमेह नियंत्रण के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है। आधुनिक विज्ञान भी आंवले और हल्दी के मिश्रण को मधुमेह के लिए कारगर मानता है। आंवले के फलों के चूर्ण और अश्वगंधा की जड़ों की समान मात्रा का सेवन प्रतिदिन कम से कम दिन में दो बार करना बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक टॉनिक की तरह माना जाता है। यह मधुमेह नियंत्रण के लिए भी अच्छा होता है। आंवले के फलों का रस (करीब ५० मिली) तैयार कर इसमें ५ ग्राम गाय का घी मिलाया जाए और प्रतिदिन रात को सोने से पहले लिया जाए, तो उन लोगो को काफी फायदा होता है, जिन्हें वीर्य में कम शुक्राणुओं की शिकायत होती है। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार लगभग एक माह तक लगातार इस फार्मूले के सेवन से फर्क महसूस किया जा सकता है। शारीरिक ताकत और मजबूती के लिए आंवले के फलों को उत्तम माना गया है।आंवले के फलों के चूर्ण के साथ अगर गिलोय के तने का चूर्ण भी मिला लिया जाए, तो शरीर में ऊर्जा का जबरदस्त संचार होता है। कुछ आदिवासी इलाकों में इस मिश्रण के साथ छोटा गोखरू की जड़ों के चूर्ण को भी मिलाया जाता है और इसे दूध के साथ रात सोने से पहले लिया जाता है। आंवले के चूर्ण को खाने से भी शारीरिक और मानसिक ताकत बढ़ती है। आंवले को अगर तिल के साथ मिलाकर २० दिनों तक प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाया जाए, तो शरीर को चुस्त और दुरूस्त होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। ये मिश्रण स्वास्थ्यवर्धक होता है। आदिवासियों की मानी जाए, तो जिन्हें पेशाब के समय जलन की शिकायत होती है उनके लिए आंवला एक फायदेमंद उपाय है। आंवले के फलों का रस तैयार कर इसमें स्वादानुसार शक्कर और घी मिलाकर पिया जाए, तो पेशाब की जलन शांत हो जाती है। आंवले के फल, पीपल की छाल और चित्रक की पत्तियों की समान मात्रा (६ ग्राम) लेकर ४० मिली पानी के साथ उबाला जाए और काढ़ा तैयार कर इसे दिन में हर चार से पांच घंटो के अंतराल से पिलाया जाए, तो रोगी का बुखार उतर जाता है। आंवले के फलों को कुचलकर घी में सेंका जाए और इसे सूंघा जाए, तो नाक से निकलने वाले खून अथवा नकसीर में आराम मिलता है।इसे नाक के बाहरी तरफ—लेपित भी किया जाना चाहिए, जल्द आराम मिलता है।