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मुझ जैसे अज्ञानी को, तेरे जैसे ज्ञानी का!
June 12, 2020
भजन
jambudweep
मुझ जैसे अज्ञानी
तर्ज—बोल राधा बोल………………………………..
मुझ जैसे अज्ञानी को, तेरे जैसे ज्ञानी का,
बोल भगवन बोल दर्शन होगा कि नहीं, बोल……।। टेक.।।
कितनी बार नरक में मैंने तुझसे वादे कर डाले।
पर इस नरतन को पाकर के मैंने उन्हें नहीं पाले।।
कुछ दोष नहीं है तेरा, यह काला धन्धा मेरा।
फिर बोल भगवन बोल दर्शन होगा कि नहीं।।१।।
कुछ पापों से हल्का होकर तेरी भक्ती को आया।
द्रव्य भाव के सुमन संजोकर मैंने तेरा गुण गाया।।
भगवन तेरी भक्ती, नहीं करने की है शक्ती।
फिर बोल भगवन बोल दर्शन होगा कि नहीं।।२।।
अब मेरी इक इच्छा है प्रभु निज में ही बस रम जाऊँ।
तेरे चरण छोड़कर स्वामी कहीं नहीं जाना चाहूँ।।
प्रभु तू ऐसा वर दे, ‘चंदनामती’, गुण भर दे।
तो फिर बोल भगवन बोल दर्शन होगा ही सही।।३।।
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