स्वमुद्रा वन्दने मुक्ताशुक्ति: सामायिकस्तवे ।
योगमुद्रास्यया स्थित्या जिनमुद्रा तनूज्झने ।।१२।।
अर्थात्-‘‘जयति भगवान्’’ इत्यादि चैत्यवन्दना करते समय वन्दनामुद्रा का प्रयोग करना चाहिये । ‘‘णमो अरहंताणं इत्यादि सामायिकदण्डक के समय और ‘‘थोस्सामि’’ इत्यादि चतुर्विंशतिस्तवदंडक के समय मुक्ताशुक्ति मुद्रा का प्रयोग करना चाहिये । बैठकर कायोत्सर्ग करते समय योगमुद्रा का प्रयोग करना चाहिये तथा खड़े रह कर कायोत्सर्ग करते समय जिनमुद्रा का प्रयोग करना चाहिये ।।१२।।