जिस दिन आप सुख को महसूस करने लगेगें उसी दिन से होगी शुरु मोटापे की लहर मोटापा भौतिक युग तथा सम्पन्नता का प्रतीक सौन्दर्य का दुश्मन यह शब्द हम महामारी की तरह फैलता देख रहे हैं। तथा आने वाली पीढ़ी को भी हम देंगे विरासत में यह वरदान और शायद यही है सुख की सही परिभाषा ।क्या आप जानते हैं कि मोटापा आपके लिये कितनी परेशानियाँ , बीमारियाँ तकलीपे तथा हास्यास्पद स्थितियाँ पैदा करता है ? क्या आप इससे मुक्ति चाहते हैं। या इसकी गिरफ्त में आना ही नहीं चाहते यदि हाँ तो आईये हम बतायें कि वो कौन से सिद्धांत हैं जिन्हें समझ कर हम घर बैठे ही मोटापा कम कर सकते हैं। कैलोरी कम कीजिए— पुरानी किताबों में जो कैलोरी की मात्रा दी गई है आज के इस भौतिक दौर में सटीक नहीं बैठती क्योंकि हमारी कार्यप्रणाली पूरी तरह बदल चुकी है । सारे दैनिक श्रमिक कार्य हम मशीनों से करने लगे हैं अत: जितनी कैलोरी हम भोजन के द्वारा लेते हैं उसे पूरी तरह अलग जला नहीं पाते तथा वह वसा के रूप में अपने शरीर के अंदर जमा होती चली जाती है। यदि आप सही मायने में मोटापा कम करना चाहते हैं तो अपने भोजन से ५०० से ७०० कैलोरी कम दे लेकिन ध्यान रहे प्रतिदिन १२०० कैलोरी से कम न करें। वसायुक्त चीजों का त्याग कर दें — अपने भोजन से घी, तेल, मक्खन, तली हुई चीजें, बेकरी से संबंधित चीजों का त्याग कर दे। मांसाहारी भोजन को सर्वथा त्याग करके शाकाहारी भोजन अपनायें। मीठी वस्तुओं का सेवन कम कर दें— मीठा , शक्कर, गुड़ तथा मिठाईयां कम कर दें या बन्द कर दें हमारे शरीर में २—३ चम्मच शक्कर पर्याप्त होती है लेकिन हम फिर भी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से १४—१५ चम्मच का सेवन करते हैं जो कि दूध, चाय, काफी, ज्यूस रस व फल तथा मिठाईयों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचती है। यदि आप इन सब चीजों में ली जाने वाली शक्कर को बंद कर दे तो भी वजन कम होने में सहायक सिद्ध होगा। कार्बोहाईड्रेट्स कम करें— सर्पक शक्कर बंद करके तथा कार्बोहाइड्रेटस लेते रहने से कभी मोटापा कम नहीं होगा। अत: आलू, चावल, साबूदाना, जमीकंद, शक्करकंद, सिंगाडा ऐसी चीजे न खायें हमारी भारतीय परम्परा में उपवास के दिन में जाने अनजाने ही ५००० कैलोरी का सेवन कर लेते हैं जिसे जलाने में कई दिन लग जाते हैं। क्योंकि उपवास के माध्यम से हम साबूदाना की खिचड़ी आलू का हलवा वगैहर खूब लेते हैं। अपनी भूख से थोड़ा कम खायें — जब आप एक रोटी और खा सकते हैं उसी समय खाना छोड़ दें।
एक साथ बहुत सारा खाना न खायें
एक साथ ४ रोटी शाम को खाने के बजाय २—२ रोटी करके तीन बार खायें। तरल पदार्थों का सेवन करें — पानी दिन भर पीते रहें हप्ते में एक दिन उपवास न करके तरल पदार्थों पर ही रहें मसलन सुबह चाय—काफी—दूध या फिर १० बजे १ कप चाय, लंच में १ गिलास गर्म दूध या सूप दोपहर चाय ५ बजे जूस, ७ बजे छाछ, १० बजे दूध तथा इसी बीच चाहे तो सलाद भी खा सकते हैं। ज्यादा उपवास न करें— उपवास करके किये गये वजन कम करने के तरीके से शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी हो जाती है व्यक्ति मरीज की तरह दिखने लगता है चेहरे की तथा त्वचा की चमक चली जाती है तथा झुर्रियाँ व ढीलापन बढ़ जाता है तथा आप अपने उम्र से बड़े लगने लगते हैं। नकम कम खायें— नमक हमारे शरीर से पानी को बाहर नहीं निकलने देता तथा ब्लड प्रेशर बढ़ाने में सहायक होता है सब्जी में ऊपर से नमक न डालें, सबसे ज्यादा नमक हमारे शरीर में पापड़, अचार, बढिया, सेव के माध्यम से पहुंचता है। सरल तरीके से व्यायाम को अपने दैनिक जीवन में अपनायें — छोटे बच्चे को आवश्यक रूप से बाहर रोज खेलने के लिये भेजें जैसे फुटबॉल, हॉकी, बॉलीबाल, टेनिस आदि प्रोढावस्था में अपने घर के सामने ही या छत पर बैडमिंटन या टेनिस खेले ताकि घर की महिलायें भी अपने काम के बाद शाम को खेल में भाग ले सके । गर्मी में स्वीमिंग करें। वृद्धावस्था में सब्जी लेने स्वयं जायें। दोनों टाईम मंदिर जाने का नियम बना लें ताकि देवदर्शन के लिये आप थोड़ा कालोनी के मंदिर तक होकर आयें। अपनी गाड़ी को गंतव्य स्थान से थोड़ा दूर पार्क करें ताकि थोड़ा—थोड़ा आपको चलकर जाना पड़े। कभी—कभी अपने मनोरंजन के लिये सायकिल पर घूम आये इसमें शर्म नहीं फैशन महसूस करें। व्यायाम का मतलब सुबह ५ बजे उठना नहीं है लोग सुबह ५ बजे उठने के आलस्य में व्यायाम को नहीं कर पाते क्योंकि शहरी जिन्दगी इतनी व्यस्त हो गई है फिर सभी व्यापारी नौकरी पैसा लोग घर से सुबह निकलकर शाम को घर पहुंचते हैं। ऐसे में समय से यदि ज्यादा जल्दी उठते हैं तो सारे दिन भर आलस्य की मानसिकता बनी रहती है अत: सुबह की नींद पूरी करें तथा आप नहाने के पहले भी व्यायाम कर सकते हैं। व्यायाम का संबंध खाली पेट व हल्के पेट से है यह जरूरी नहीं कि आप ४ या ५ बजे उठें। यदि फिर भी टाइम नहीं मिले तो शाम ४ से ५ बजे का समय भी व्यायाम के लिये उत्तम है व्यायाम खाने के ३ घंटे बाद ही होना चाहिए।
खाने का संबन्ध मस्तिष्क से
खाने का संबंध पेट से नहीं वरन मस्तिष्क से होता है जिस दिन हम यह संकल्प करते हैं कि आज हम उपवास करेंगे या नहीं खाना है मसलन यदि कोई धार्मिक पर्व हो तो उस समय आपके सामने यदि छप्पन भोग भी रखें हो तो भी आप संयमित रहते हैं उसी तरह कुछ दिन तक आप अपने मस्तिष्क को आर्डर दें कि आपको कितना खाना है तथा कैसा खाना है ४ से ५ दिन में आपको उतने में ही संतुष्टि मिल जायेगी तथा आप अपना पेट भरा महसूस करेंगे। इसमें आपके परिवार का सहयोग जरूरी है।
खाना न फैकने की परम्परा—अक्सर खाना न फिंके या बचे या कम पड़े इसी उम्मीद से हमारी परम्परानुसार पहले घर के पुरूष खाते हैं बाद में बचा सारा खाना घर की महिलायें एक साथ बैठ कर खाती हैं यदि आधि कटोरी दाल—चावल या सब्जी बची है तो खाली करने के आलस्य में या फैकने से क्या फायदा सोचकर स्वयं खा लेती हैं उन्हें यह अनावश्यक खाना न खाकर प्रज में रख देना चाहिये। फैकने के बजाय खाना खा लेंगे तो अंग लग जायेगा यही सोच उन्हें मीठे जहर की भांति दी जाती है। हमारी परम्पराऐं तथा संस्कार बच्चे का बचा न खायें, खाने का अनावश्यक लाड़ पुरुषों से भी कभी न करें तथा उचित का निर्णय करके ही घर की संभाल करें।
बच्चों को अनावश्यक खान—पान का लाड़ न दे— बच्चे कभी भूखे नहीं रहते परन्तु हर माँ को यही लगता है कि मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं अत: दिन भर बच्चे के पीछे खाने की थाली लिये हाथ से ठूंस—ठूंस कर खिलाने के लिये आतुर रहती है। यदि बच्चे को शुरू से जरूरत से ज्यादा खिलाया जायेगा तो उसे ज्यादा ही खाने की आदत पड़ जायेगी। समय तेजी से बदल चुका है बच्चों पर पढ़ाई का इतना बोझ है कि उन्हें स्कूल होमवर्क से टाईम नहीं मिलता बचा समय टी.वी. देखने में निकाल देते हैं अत: बच्चे कब खेले तथा शारीरिक श्रम तो करते नहीं या माताएं अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने को कहती है तथा घर का काम भी बहुत कम करवाती हैं अत: उनका भी शारीरिक श्रम नहीं हो पाता है। रोज गर्म नाश्ता ठीक नहीं— रोज बच्चों को तथा पुरूषों को गर्म नाश्ता खिलाने की चाह में महिलाएं पोहा, पराठा, कचोरी, जलेबी या खमण बनाती हैं ये नाश्ते भरपूर कैलोरी देते हैं अत: यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो दूध के साथ अंकुरित धान्य, सेंव फल या कभी कार्न फ्लेक्स लें जिससे आपको अधिक प्रोटीन व पौष्टिकता मिले । बच्चे के टिफिन में नियमित पराठा न रखें।
सुख की चाह — हर व्यक्ति को लगता है कि कम उम्र में वह ज्यादा कमायें तथा ३५ वर्ष की उम्र में ही उसे घर, बंगला, मोटर गाड़ी, नौकर, फैक्ट्री इत्यादि हो जाये ताकि वह एक समाज का प्रतिष्ठित व सम्पन्न व्यक्ति कहलायें। घर में महिलायें वक्त व मेहनत बचाने के लिये ज्यादा से ज्यादा उपकरण खरीद लेती हैं ताकि समय बचा कर या तो वह सो जायें, आराम करे या अपने मनोरंजक कार्यक्रम देखें।
अपनी दिनचर्या में खाने—पीने का मैनेजमेंट करें— कैलोरी का संतुलन बनाये रखें यदि आपको पता है कि शाम को पार्टी में जाना है अत: आपको ज्यादा खाना पड़ सकता है इसलिये आप सुबह का खाना न खाकर हल्का नाश्ता ले लें। यदि सुबह ज्यादा खाया है तो शाम को सिर्पक सूप व सलाद ले लें यदि दो दिन तक लगातार शादी या पार्टी में जाना हो तो तीसरे दिन तरल उपवास करें ताकि आपकी जमा चर्बी पिघल सके। भोजन के स्वाद पर नहीं स्वास्थ्य पर जाईये— हमेशा स्वादिष्ट भोजन के चक्कर में घी, तेल तथा मसाले युक्त भोजन का स्वाद न लगायें। यह भी आवश्यक नहीं कि भोजन स्वादिष्ट बना है तो ज्यादा खायें।
एक सा भोजन —प्रत्येक परिवार में बच्चे, किशोर, प्रौढ तथा वृद्ध हर आयु के सदस्य रहते हैं परन्तु घर में सबका खाना एक सा बनता है। जबकि सबकी शारीरिक बनावट व मांग अलग—अलग होती है अत: यदि बच्चे के लिये पराठें बनाये हैं तो जरूरी नहीं कि आप भी खायें आप अपने लिये रोटी ही बनायें जो चीज घर के वृद्ध न ऐसी चीजें न बनायें या कम बनायें। अत: सबकी आवश्यकताओं का चयन व निर्णय करते हुए भोजन का मीनू बनायें। फिर भी मैं अंत में यही कहना चाहूँगी कि हमारे देश में कितना शाही खाना खाते हैं और उससे भी ज्यादा झूठा फैकते हैं वही दूसरी तरफ गरीब व भूखमरी है जिन्हें एक समय भी पूरा भोजन नसीब नहीं है कभी वो प्याज से खाते हैं कभी हरीमिर्च से ऐसे देश में ऐसी विभिन्नता को देखकर हम सम्पन्न लोग क्या ये प्रण नहीं कर सकते कि हम शास्त्री जी की तरह सप्ताह में एक दिन एक समय का भोजन त्याग दें। देश के करोड़ों नागरिक यदि यह प्रण अपना लें तो गरीबों का पेट भी भरेगा व अमीरों का मोटापा कम रह सकेगा।