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यह शान्त छवी तेरी बड़ी सुन्दर लगती है!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
यह शान्त छवी तेरी
तर्ज—क्या खूब दिखती हो……
यह शान्त छवी तेरी, बड़ी सुन्दर लगती है।
मन्द मन्द मुस्कान सदा, चेहरे पे बिखरती है।।
त्याग तपस्या की किरणें, अन्तर से निकलती हैं।। यह.।।टेक.।।
तुमने जो पथ अपनाया-अपनाया, वह वीतरागता का मारग कहलाया।
जहाँ ममता मोह न माया-नहिं माया, जहाँ निर्ममता की मिलती शीतल छाया।
विश्वप्रेम की दृष्टि जहाँ नयनों से झलकती है, त्याग तपस्या की किरणें, अन्तर से निकलती हैं।। यह……।।१।।
जिनशासन की यह महिमा-हाँ महिमा। जहाँ देव, शास्त्र, गुरु, तीन रतन की गरिमा।
अनमोल रतन इन्हें कहना-हाँ कहना, निज आतम में अब, उन्हें संजोकर रखना।
उन रतनों की चमक तेरी, काया में झलकती है, त्याग तपस्या की किरणें, अन्तर से निकलती हैं।। यह……।।२।।
युग-युग तक तेरी गाथा-हाँ गाथा, गाएगा यह संसार नमाकर माथा।
जो वंदन करने आता-हाँ आता, ‘‘चन्दनामती’’ वांछित फल, पूर्ण कराता।।
यह प्रतिभा तव आकर्षक, मुद्रा से झलकती है, त्याग तपस्या की किरणें, अन्तर से निकलती हैं।। यह……।।३।।
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