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आज के भौतिक कम्प्यूटर युग में व्यक्ति भी कम्प्यूटर बनकर हर काम को अति शीघ्र करना चाहता है। यही कारण है कि मस्तिष्क पर दवाब—तनाव जैसी स्थितियां बढ़ रही हैं और स्मरण शक्ति क्षीण होती जा रही है। लोग परेशान हैं कि याददाश्त कैसे बढ़े ? पर— दवाओं से नहीं बढ़ती स्मरण शक्ति— व्यापारी भी बाजार में चलती माँग को देखते हुए दिन पर दिन नयी—नयी स्मरण शक्तिवर्धक दवाएँ लाकर उपभोक्ताओं को अच्छे खासे दाम और गारंटी के साथ दे रहे हैं पर ध्यान रखें— इन औषधियों में ५० प्रतिशत चाशनी होती है तथा शुद्ध तत्व होते ही नहीं। बार—बार विज्ञापन देखकर—पढ़कर मन पर वैज्ञानिक प्रभाव हो जाता है कि इनके सेवन से हम कुशाग्र बुद्धि हो जाएंगे । अरे भाई अगर पेटेन्ट दवाओं से स्मरण शक्ति बढ़ती तो गरीबों के हाथ से एक यह गॉड गिफ्ट भी छिन जाती और धनवान दवाएँ खा खाकर अपना बर्चस्व बना लेते। ऐसा होता है मस्तिष्क— शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग माना जाने वाला मस्तिष्क शरीर का मात्र पांचवां भाग है। मस्तिष्क के भीतर जाने वाले तथा बाहर आने वाले नाड़ी तंतुओं की संख्या लगभग २० करोड़ हैं। प्रत्येक शारीरिक व मानसिक स्पंदन का निर्गमन यहाँ से होता है। प्रारंभ में २५ वर्ष तक हम अधिकांश बातें याद रखते हैं, २५ वर्ष के बाद मात्र काम की बातें याद रखते हैं। उम्र बढ़ने के साथ—साथ याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है। ४० वर्ष की आयु के पश्चात् व्यक्ति में परिपक्वता आ जाती है। अच्छी स्मरण शक्ति के लिए शरीर और मन को निरोग रखना चाहिए। स्मरण शक्ति की कमी के कारण— स्वास्थ्य की दृष्टि से— शारीरिक और मानसिक कमजोरी, अति चंचलता, एकाग्रता का अभाव, खान—पान का असंयम। कैसे याद रखें— अत्यधिक चिंतन—मनन, मन में याद रखने योग्य बातों का चित्र बनाना, एक बात का संबंध अन्य बात से बनाये रखना, बार —बार दोहराना, लम्बी व जटिल सामग्री व संक्षिप्तीकरण, ४५ मिनट बाद प्रमुख तत्वों को पुन: दोहराना, चित्त की एकाग्रता।
किसी भी प्रकार का तनाव या व्यसन न रखें। खाली समय आलस्य या गप्पबाजी में न बिताएँ । कक्षा में जो पढ़ाया जाना है उसे पहले से पढ़कर जाएँ। कक्षा में जो समझाया जाए उसे ध्यान से सुनें व टीप बनाएँ । घर आकर नोट्स तैयार करें। याद किया हुआ विषय लिखकर देखें। कुछ देर मन को स्थिर रखने वाले व्यायाम कीजिए। धीमें संगीत के साथ अध्ययन जारी रखिए।
घर के किसी परिजन, मित्र या सहपाठी से प्रश्न करने को कहिये और आप उत्तर दीजिए। एक बार किसी पूरी पुस्तक को देख याद करना कठिन लगता है पर पाठ—पाठ, अध्याय—अध्याय आगे बढ़ते जाइए। पूरी पुस्तक याद कर लेंगे। जब भी समय मिले पुस्तक के पन्ने पलटकर याद की गई बातों की पुनरावृत्ति कर लीजिए। क्या खाएँ— मस्तिष्क की आवश्यकता की पूर्ति करता है भोजन । यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है। सुपाच्य, हल्का, संतुलित , पौस्टिक आहार नियमित समय पर करें। पत्तीदार सब्जियाँ, सलाद, दूध, दही, दाल, पत्तागोभी, फूलगोभी, सौंफ , गुड़, तिल, पालक, लौकी,जामुन, स्ट्राबेरी, नारियल, लीची, आम, सेब, संतरा, टमाटर आदि खाएँ। सहायक उपाय— मानसिक श्रम करने वाले स्मरण शक्ति हेतु प्रोटीन (दाल—दलहन) अधिक खाँए । भीगे बादाम को पीसकर प्रात: खायें। खरबूजे की मींगी स्मरण शक्ति बढ़ाती है। अखरोट या बादाम किसी भी रूप में किसी के साथ खाएँ। आंवले का मुरब्बा , अंगूर, प्रात: काल एक या दो सेब खाकर गर्म दूध पीने या १५ मिनट बाद भोजन करने से प्राप्त फास्फोरस , पोटेशियम, कैल्शियम, प्रोटीन , कार्बोहाइर्डेड, आक्साइड याददाश्त बढ़ाते हैं । सौंफ व मिश्री को अलग—अलग, कूटकर समान मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन सुबह व शाम भोजन के बाद एक—एक चम्मच लेने से बुद्धि बढ़ती है। लौकी की सब्जी खाने एवं लौकी का तेल सिर में लगाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। भीगे उड़द को पीसकर, दूध—शक्कर मिलाकर लेने से मस्तिष्क की क्षमता बढ़ती है। क्या न खाएँ —कड़क चाय व नशे से दूर रहें। तम्बाकू, गुटका न खाएं। सहायक उपाय क्या करें— प्रतिदिन प्रात: खुली हवा में घूमने जाएँ। रुचिकर व्यायाम नियमित करें । बातों व पाठ को एकाग्रता व मनोयोग से याद करें । भरपूर निद्रा लें। खान—पान , व्यायाम—आराम में संयम हो। बीच—बीच में मनोरंजन भी करते रहें। दिन में अधिक न सोएँ, देर रात तक न जागें। सूर्योदय से दो घण्टा पूर्व उठकर याद करें । तनाव, क्रोध, चिंता से दूर रहें। अपनी स्मरण शक्ति को लेकर परेशान न रहें। समय को अपने अनुसार उपयोग करें। लाभ अवश्य मिलेगा।