तिस्रोऽह्नोऽन्त्या निशश्र्चाद्या नाड्यो व्यत्यासिताश्च ता:।
मध्याह्नस्य च षट् कालास्त्रयोऽमी नित्यवन्दने।।२।।
अर्थात्-नित्यवन्दना के तीन काल हैं। पूर्वाह्नकाल, मध्याह्नकाल और अपराह्न काल। ये तीनों काल छह छह घड़ी के हैं। रात्रि की पीछे की तीन घड़ी और दिन की पहिली तीन घड़ी एवं छह घड़ी पूर्वाह्नवन्दना में उत्कृष्ट काल है । दिन की अन्त की तीन घड़ी और रात्रि की पहली तीन घड़ी एवं छह घड़ी अपराह्न वन्दना में उत्कृष्ट काल है तथा मध्य दिन की आदि अन्त की तीन तीन घड़ी एवं छह घड़ी मध्याह्न वन्दना में उत्कृष्ट काल है। इस तरह सन्ध्यावन्दना में छह छह घड़ी उत्कृष्ट काल है।।२।।