योग-प्राणायाम बनाएं सांसों का संतुलन
भ्रामरी का अभ्यास
शांत और हवादार स्थान पर बैठकर आंखें बंद कर ले। तर्जनी को कानों पर रखे व मुंह को बंद रखते हुए सांस ले और बाहर छोडे। सांस छोड़ते हुए ऊँ का उच्चारण भी करें। इसे 5-11 बार कर सकते है। कान व नाक का संक्रमण है, तो इसे न करें।
नाड़ीशोधन या अनुलोम विलोम
बायी नासिका से श्वास भरे और दायी से छोड़े, फिर दायीं से भरे और बायीं से छोड़े। पाच-सात मिनट अभ्यास करें। श्वास लेने और छोड़ने में बराबर समय लगना चाहिए। ध्यान रखे कि सास की लय एक जैसी हो।
योग के दौरान ध्यान रखें
• यदि नियमित योग कर रहे है तो इसे खाली या हल्के पेट करें। गुनगुने पानी का सेवन कर सकते हैं।
• योग के 20-30 मिनट बाद ही स्नान करें। आधे घंटे के बाद ही कुछ खाए।
• योग निद्रा आसन करें। इससे रक्त संचार बेहतर और मन शांत रहता है। सांसकी परेशानी कम होती है।
अर्धचक्रासन
इससे हाथ व कथे मजबूत होते हैं। सीधे खड़े होकर सास अंदर खीचे व हायों को सिर के ऊपर ले जाएं। सास छोड़ते हुए हल्का पीछे की ओर झुके । हाथ को कान से सटाकर रखें, कोहनियों व घुटने को सीचा रखें। सास को अंदर लें। फिर पहले की स्थिति में वापस लौटें।
तड़ागी मुद्रा के लाभ
■तहागी से पाचन समस्या में लाभ मिलता है। जमीन पर बैठकर पैरों को सामने की और सीधा फैला ले और आगे की ओर झुककर पैरों के अंगूठोंको पकड़ लें। यदि गर्दन, कमर अथवा रीढ़ के अन्य किसी हिस्से में दर्द हो तो लेटकर इसका अभ्यास कर सकते हैं।
प्रदूषण से बचाव के लिए क्या करें • पानी का सेवन अधिक से अधिक करें।
• मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
• आवश्यकता पड़ने पर ही घर से बाहर जाएं।
• घर में हवा की स्वछता के लिए एयर
प्यूरीफायर का प्रयोग कर सकते हैं।
• इनडोर पौचों को घर में लगाए ताकि
आक्सीजन का स्तर बना रहे।
प्रस्तुति : सीमा झा
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