इन दिनों देश के अनेक भागों में गर्मियों का मौसम उफान पर है। मौजूदा मौसम में शरीर के प्रति लापरवाही बरतने पर लू लगने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप लू को शिकस्त दे सकते हैं । जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे गर्मी से होने वाली बीमारियों का भी खतरा बढ़ रहा है। अत्यधिक गर्म तेज हवाओं को लू कहा जाता है। लू लगने से होने वाली बीमारियों को उनकी तीव्रता के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया जाता है.. 1. मांसपेशियों में मरोड़ (क्रैम्प्स): गर्मी की वजह से शरीर में पानी और नमक की कमी होना और मांसपेशियों में एेंठन आना। 2. गर्मी का अत्यधिक प्रभाव: जब गर्मी का प्रभाव शरीर पर ज्यादा हो जाता है, तो इस स्थिति को लू लगना कहते हैं। 3. हीट स्ट्रोक: लू लगने की अत्यधिक गंभीर स्थिति को हीट स्ट्रोक कहते हैं। यह सबसे गंभीर समस्या है, जिसमें शरीर का तापमान 104 डिग्री फॉरेनहाइट के ऊपर तक पहुंच जाता है। इस कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों जैसे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इस रोग का अगर समय से उपचार न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। जिस किसी व्यक्ति का तापमान 104 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा हो गया हो, तब उसे शीघ्र ही अस्पताल ले जाना चाहिए। कारण सबसे महत्वपूर्ण कारण है गर्म स्थानों पर होना। लू लगने का खतरा तब और भी बढ़ जाता है, जब कोई व्यक्ति गर्म वातावरण में सख्त शारीरिक काम कर रहा हो। इस स्थिति में आपके शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती। इस कारण शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ने लगता है। अन्य कारणों में पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना, दिन में शराब का सेवन और ज्यादा गर्म व तंग वस्त्र पहनना है।
लक्षण-अत्यधिक पसीना आना। -चक्कर आना। -थकान होना। -मांसपेशियों में मरोड़ होना। -सिरदर्द होना, उल्टी आना। -ब्लडप्रेशर कम (लो) हो जाना। -समुचित इलाज न होने पर बेहोश होना। -बुखार आना, पेशाब कम होना। अगर उपर्युक्त लक्षण एक घंटे के घरेलू उपचार के बाद भी ठीक न हों, तो शीघ्र ही पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं।
जोखिम भरी स्थितियां 1. चार साल से कम उम्र के बच्चों में और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्र्गो में लू लगने का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दोनों का शरीर तापमान के बदलाव को नियंत्रित नहीं कर पाता। 2. कुछ शारीरिक बीमारियों के कारण भी लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। जैसे- गुर्दे की और दिल की बीमारी आदि। 3. वातावरण के तापमान का शीघ्रता से बढ़ना। इस कारण शरीर को बढ़ते तापमान से सामंजस्य स्थापित करने का समय नहीं मिलता। जटिलताएं अगर लू लगने का समय पर समुचित उपचार न किया जाए, तो जानलेवा हीट स्ट्रोक हो सकता है।
उपचार –शीघ्र ही पीड़ित व्यक्ति को ठंडे व छायादार स्थान पर ले जाएं। -अगर पीड़ित व्यक्ति बेहोश न हो, तो पीने का पानी व नीबू पानी, लस्सी, जूस या ओआरएस का घोल दें। -चाय, कॉफी या शराब जैसे पेय पदार्थ न दें। इनसे शरीर में पानी की कमी बढ़ सकती है। -शरीर पर ठंडा पानी डालें। -कपड़े ढीले कर दें। -हवा के लिए पंखा या कूलर लगाएं।
बचाव –बाहर जाते समय 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाएं। -पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ लें। -जो व्यक्ति किडनी, दिल व दिमाग की बीमारियों का उपचार करा रहे हों, उन्हें अपने डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लेना चाहिए कि क्या-क्या सजगताएं उन्हें बरतनी हैं।