यह लोक तल में ७ राजू, मध्य में १, पाँचवें स्वर्ग में ५, और अंत में १ राजू है। इन चारों स्थानों की चौड़ाई को जोड़ देने से ७±१±५±१·१४ राजू हुए। इस १४ में ४ का भाग देने से १४´४·३-१/२ राजू हुए। इसमें लोक के दक्षिण-उत्तर की मोटाई का गुणा कर देने से ३-१/२²७·२४-१/२ हुए। फिर इस चौड़ाई और मोटाई के गुणनफल में १४ राजू का गुणा कर देने से २४-१/२²१४·३४३ राजू हुये। इस लोकाकाश का घनफल ३४३ राजू प्रमाण है।