लौकांतिक देवों में प्रत्येक के शरीर की ऊँचाई ५ हाथ प्रमाण है। ये लौकांतिक देव, देवी आदि परिवार से रहित परस्पर में हीनाधिकता से रहित, विषयों से विरक्त, देवों में ऋषि के समान होने से देवर्षि कहलाते हैं। अनित्य आदि बारह भावनाओं से चिंतवन में तल्लीन, सभी इंद्रों, देवों से पूज्य हैं। चौदह पूर्व रूप श्रुत ज्ञान के धारी हैं। तीर्थंकरों के निष्क्रमण कल्याण में संबोधन रूप नियोग को पूरा करने के लिए और भक्ति भाव स्तुति करने के लिए आते हैं, अन्य कल्याणकों में नहीं आते हैंं। ये नियम से एकभव मनुष्य का लेकर मोक्ष चले जाते हैं।
इन देवों की आयु आठ सागर प्रमाण है। इनमें से अरिष्ट नामक लौकांतिक देवों की आयु नव सागर प्रमाण है। इन सभी देवों में अरिष्टदेव श्रेणीबद्ध विमानों में रहते हैं एवं अवशेष सभी देव प्रकीर्णक विमानों में रहते हैं।