यहीं पर और इसी समय हमारे मन में यह बेमानी है कि कब से हमारे अंदर नकारात्मक पैटर्न या कोई बीमारी या कोई बिगड़ा हुआ रिश्ता या धन की कमी, या स्वयं से घृणा विद्यमान है पर हम अभी और आज से बदलाव शुरू कर सकते हैं। हमारी जो अभी तक विचारधाराएँ थीं जिन शब्दों को हमने बार—बार इस्तेमाल किया है और जिन्होंने हमें अब तक के जीवन का अनुभव प्रदान किया है, उन सबने हमारे जीवन का निर्माण किया है। पर वह सब भूतकाल की सोच थी, वह हम पहले ही कर चुके हैं। इसी वर्तमान क्षण में शक्ति का बिन्दु है। हम जो अभी सोच रहे हैं, कर रहे हैं या कह रहे हैं, उसी से हमारा आने वाला कल और आगे के दिनों का, सप्ताह महीनों एवं वर्षों का निर्माण होगा। वर्तमान क्षण बहुत शक्तिशाली है। यहीं पर हमें बदलाव करना शुरू करना चाहिए। कितना ही स्वच्छ करने वाला विचार हो हम उसे अपने पुराने विचारों के साथ पीछे छोड़ सकते हैं। अभी इसी समय इस छोटी—सी शुरुआत से आपके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा। जब हम एक छोटे से बच्चे थे, तब आप एक शुद्ध आनंद और प्रेममय थे। आपको पता था कि आप कितने महत्वपूर्ण थे। आपको पता था कि आप संसार के केन्द्र—बिन्दु में थे। आपके अंदर अटूट साहस था, जो भी आपको चाहिए था, आप उसकी मांग पेश कर सकते थे। आप अपनी भावनाएँ भी नि:संकोच व्यक्त कर सकते थे। आप अपने शरीर में, उसके हर अंग को यहाँ तक कि अपने मल—मूत्र को भी प्यार करते थे। आप मानते थे कि आप हर प्रकार से संपूर्ण हैं और यह आपके अस्तित्व की सच्चाई है। बाकी सब चीजें आपने जो सीखी हैं, वह असत्य हैं, झूठ हैं और उनको भुलाया जा सकता है। हम अक्सर यह कहते हैं कि, ‘‘हम इसी तरह से हैं या यह चीज इसी तरह से है। हम जो वास्तव में कहना चाह रहे हैं वह यह है कि हम इसी तथ्य में विश्वास करते हैं कि यही सच है। वास्तविकता है, असल में हम जिस ची़ज में विश्वास करते हैं वह किसी अन्य की राय है, जिसको हमने मान लिया है। यह और तथ्यों के साथ मेल खाता है, जिसमें हम विश्वास करते हैं। यदि हमें अपने बचपन में सिखाया गया है कि यह दुनिया एक भयावह या डरावनी जगह है, तो इस विचार से जितनी ची़जें मेल खाती हैं, उन्हें हम सच मान लेंगे। ‘‘अजनबियों पर विश्वास मत करो’’, ‘‘रात में बाहर मत निकलो’’। ‘‘लोग आपको ठग लेते हैं।’’दूसरी तरफ यदि हमें यह सिखाया जाए कि दुनिया बड़ी खुशहाल जगह है’’, तब हम उसी तरह से दुनिया को देखने लगेंगे।’’ ‘‘हर जगह प्यार है, मोहब्बत है’’, ‘‘लोग बहुत दोस्ताना व्यवहार करते हैं’’, धन हमारे पास आसानी से आ जाता है।’’ आदि आदि । जीवन के अनुभव हमारे विश्वास का दर्पण है। हम शायद ही कभी बैठकर अपने विश्वासों पर प्रश्न करते हों, सवाल उठाते हों! मिसाल के तौर पर, ‘‘मैं क्यों यह मानकर चलती हूँ कि मैं कभी कुछ सीख नहीं सकती ? क्या यह वास्तव में सच है ? क्या यह मेरे लिए अब भी सच है ? यह विश्वास कहाँ से आया ? मैं इसमें केवल इसीलिए विश्वास करती हूँ कि मेरी फस्टग्रेड की टीचर ने यह बार—बार बताया? क्या यह अच्छा नहीं होगा कि मैं इस विश्वास को यहीं छोड दूँ।’’ एक क्षण को रुकें और अपने विचारों को थाम लें। आप अभी इस वक्त क्या सोच रहे हैं? यदि सोच—विचार ही आपकी जीवन शैली का निर्धारण करने वाले हैं और अनुभव को ढालने वाले हैं, तब क्या आप इस विचार को अपने लिए सत्य मानकर चलेंगे? यदि यह विचार किसी चिन्ता या परेशानी या फिर बदले की भावना का है, तो आप क्या सोचते हैं कि यह विचार आपके भीतर से कैसे वापस आएगा? अगर हमें खुशहाल जिंदगी चाहिए, तो हमें अपने अंदर प्रसन्नता के भाव भरने चाहिए। जैसा हम मानसिक रूप से या मौखिक रूप से विचार भेजेंगे, वहीं हमारे पास लौटकर आएंगे। थोड़ा—सा समय लें कि आप किन शब्दों को बोल रहे हैं, उन्हें ध्यान से सुनें। अगर आप अपने को कोई ची़ज तीन बार कहते हुए सुनें तो उन्हें नोट कर लें। यह आपके लिए एक पैटर्न बन गया है। एक सप्ताह बाद आप उसी लिस्ट पर गौर फरमाएं, जिन्हें आपने नोट किया है और सोचें कि यह आपके अनुभवों से कैसे मेल खाते हैं ? आप अपने शब्दों या विचारों को बदलने का प्रयास करें और देखें कि यह किस प्रकार से आपके जीवन में परिवर्तन या बदलाव लाते हैं। अपने जीवन को बदलने का तरीका है कि आप अपने उन शब्दों और विचारों को बदलें, जिससे आपके जीवन पर अनैच्छिक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आपके दिमाग के अंदर आपके अलावा और कुछ नहीं सूझता है।