श्री गौतमस्वामी ने वर्ष के ३६६ दिन-रात्रि माने हैं। एवं व्यवहार में ३६५ दिन माने हैं। पाक्षिक प्रतिक्रमण में देखिए—
अह पडिवदाए विदिए तदिए चउत्थीए पंचमीए छट्ठीए सत्तमीए अट्ठमीए णवमीए दसमीए एयारसीए वारसीए तेरसीए चउद्दसीए पुण्णमासीए पण्णरस दिवसाणं पण्णरस-राईणं, (चउण्हं मासाणंअट्ठण्हं पक्खाणं वीसुत्तर-सयदिवसाणं वीसुत्तर-सयराईणं) (बारसण्हं मासाणं चउवीसण्हं पक्खाणं तिण्हं छावट्ठिसय-दिवसाणं तिण्हं छावट्ठि-सय-राईणं), (पंच वरिसादो)।मुनिचर्या-पाक्षिकप्रतिक्रमण पृ. २८८-२८९।
पद्यानुवाद
(गणिनी ज्ञानमती)
अब एकम दूज तीज चौथी पंचमि छठ सप्तमि अष्टमि में।
नवमी दशमी ग्यारस बारस तेरस चौदश पूनम तिथि में।।
पन्द्रह दिन में पन्द्रह रात्री में दोष किये जो पाक्षिक में।
(चउमास के आठ पक्ष में एक सौ बीस दिवस अरु रात्री में)।।
(इक वर्ष में चौबिस पक्ष में त्रयशत छ्याछठ दिन अरु रात्रि में)।
(या पांच वर्ष के परे व अन्दर ‘‘युगप्रतिक्रमण’’ के करने में।।
हे भगवान् ! प्रतिक्रमण करके सब दोष विशोधन करता मैं।।
गोम्मटसार जीवकाण्ड में भी ३६६ दिन माने हैं-
‘एक वर्ष के तीन सौ छियासठ दिन रात कहे जाते हैं।