१. तिजोरी उत्तर पूर्व की ओर खुलनी चाहिए। अत: इसे दक्षिण अथवा पश्चिम की दीवार से सटाकर रखें।
२. दर्पण, सिंक, चिलमची और नल प्राथमिकता के तौर पर उत्तर पूर्व की दिवार पर लगाये जाय। नल से पानी नहीं टपकना चाहिए।
३. फर्श साफ करते समय फिनायल आदि के साथ थोड़ा सेंधा नमक या समुद्री नमक डाल देना चाहिए।
४. बीम के नीचे कभी न सोयें, अन्यथा मानसिक तनाव उत्पन्न हो जायेगा।
५. युद्ध दृश्यों, अपराध, निराशा क्रोध और तनाव से भरे चित्र घर की दीवारों पर नही लटकाये।
६. ईशान अथवा उत्तर पूर्व भाग बंद होने पर घर अथवा ऑद्यौगिक परिसर को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता है। इसके कारण तनाव झगड़े और अपर्याप्त विकास (विशेषकर भू स्वामी के बच्चों में) की स्थिति उत्पन्न होती है।
७. औद्योगिक इमारत में किसी दोष, खाई अथवा उत्तर—पूर्व में कटाव के कारण उद्योगपति के विकलांग सन्तान पैदा होती है।
८. किसी घर अथवा उद्योग के उत्तर—पूर्व में शौचालय, भट्टी आदि होने पर वित्तीय हानि के साथ — साथ मानसिक तनाव और विवाद उत्पन्न होते हैं।
९. तैयार माल उत्तर पश्चिम कोने में रखने पर शीघ्र बिकता है तथा आर्थिक लाभ होता है। धन प्राप्ति का यह उत्तम उपाय भी है।
१०. जल संग्रहण अथवा स्त्रोत भूखण्ड के पूर्व या उत्तर पूर्व में होना चाहिए। दक्षिण या पूर्व में जलाशय होने घर स्वामी को पुत्र सन्तान या पत्नी खोने का भय रहता है। दक्षिण पश्चिम में भूमिगत पानी की टंकी होने पर परिवार के मुखिया या उद्योग के मालिक को प्राणों का खतरा रहता है। ११. उत्तर अथवा पूर्व से अधिक खुला स्थान नाम प्रसिद्धि और सम्पन्नता प्रदान करता है। घर के दक्षिण पश्चिम की ओर अधिक खुला स्थान पुरूष सदस्यों को बुरी तरह प्रभावित करता है, जबकि उद्योग में इसके कारण वित्तीय हानि और भागीदारों के बीच झगड़े उत्पन्न होते हैं।
१२. घर के दक्षिण पश्चिम के कटाव हो, तो उसमें रहने वाला गंभीर बीमारियों के शिकार होते है। वही उत्तर—पश्चिम के कटाव हो तो विकास अवरूद्ध होता है। और आर्थिक समस्यायें जन्म लेती है।
१३. ट्रांसफॉर्मर, जेनरेटर, मोटर, भट्टी, तेल, ईन्जन, बॉयलर आदि भूखण्ड या ईमारत के दक्षिण अथवा घर के दक्षिणी भाग में रखने चाहिए।
१४. केन्द्रीय स्थान को खाली रखना चाहिए अथवा उस पर पारम्परिक रीति रिवाज किये जाने चाहिए।
१५. दरवाजे और खिड़कियाँ ऊपरी तल की अपेक्षा भूतल पर अधिक होने चाहिए। घर के उत्तर पूर्वी कोण में ईश्वर का वास होना चाहिए, तथा इसे सदा स्वच्छ रखना चाहिए।
१६. घर का ब्रह्म स्थान नीचा नहीं होना चाहिए, उनकी सतह बराबर होनी चाहिए।
१७. घर की सीढ़िया (नाल) दक्षिण पश्चिम की ओर होनी चाहिए यानि घड़ी की तरह घूमना फलदायक होता है।
१८. उत्तर पूर्व में सैप्टिक टैंक को नहीं रखना चाहिए।