आध्यात्मिक, योग, असि—मसि—कृषि, कला, ज्योतिष, वास्तु आदि ६४ विद्याओं के जनक आदिब्रह्मा (भ.ऋषभदेव) हैं। गृहशिल्प और देवशिल्प का ज्ञान आदिब्रह्मा ने अनन्तवीर्य एवं विश्वकर्मा जी को दिया । सम्पूर्ण विश्व ने भारत को आध्यात्मिक गुरु माना है। आज दूरदर्शन कार्यव्रमों में करीब सभी चैनलों पर वास्तुशास्त्र की चर्चा हो रही है। इस शास्त्र को उजागर करने तथा जन—जन तक पहुँचाने में दूरदर्शन एवं समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं का बहुत बड़ा योगदान है। ये विज्ञजन प्राणी मात्र को जीवन जीने की शैली का ज्ञान प्रदान कराते हैं। इस युग में विद्याओं के द्वारा आदिब्रह्मा ने विश्व कल्याण हेतु इनकी जानकारियाँ प्रदान की। गुरुजनों को कोटि—कोटि प्रणाम करते हुए मैं इस शास्त्र के एक पहलू के बारे में चर्चा करने का प्रयास कर रहा हूँ। पुराने मकान से निकली हुई या बाजार से पुरानी सामग्री लाकर नव निर्वाण कराना निषेध है। आज आर्थिक युग में अर्थ की कमी के कारण मध्यमवर्गीय लोग मकान की लागत कम करने के लिए सस्ते एवं पुराने समानों का प्रयोग करने का प्रयास करते हैं। उनका उद्देश्य है कम कीमत में गृह का निर्माण करना। लेकिन मनुष्य पुराने सामानों के प्रयोग से मिलने वाले दूषित परिणामों की जानकारी से वंचित है। पुराने मकान को खण्डित करके नव निर्वाण करना या भूखण्ड पर नव निर्माण करना हो तो मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। १. पुरानी र्इंट, लोहा, पत्थर नये मकान में लगाने से मकान की आयु निम्न हो जाती है। २. एक मकान में प्रयोग की हुई लकड़ी नव निर्मित मकान में लगाने से धन—सम्पत्ति का पलायन एवं अशांति का आगमन होने की संभावना अत्यधिक हो जाती है। गृह स्वामी की आयु क्षीण होती है। ३. इस द्वार में पुरानी और नई लकड़ी लगाने से उस मकान की मालकियत में परिवर्तन होता रहता है। ४. किसी भी घर की पुरानी शैय्या खरीदकर उस पर शयन करने से पति पत्नी के रिश्ते में मधुरता का ह्रास हो जाता है।
(वास्तुराज, ५/ ३६) मकानों के पुराने सामान जैसे— मोटरसाइकिल, स्कूटर , गाड़ियाँ, प्रज, टी०वी० , कूलर, ए.सी. इत्यादि जो मकानों में खराब हो जाने के बाद उनका प्रयोग नहीं किया जाता मगर उनको अपने घर से निकाला नहीं जाता । जहाँ पर ये सामान एकत्रित हो जाते हैं वहाँ नकारात्मक ऊर्जाओं की उत्पत्ति चालू हो जाती है एवं घर में धन—सम्पत्ति एवं शांति के वातावरण को दूषित कर देती है। कई मकानों से इन सामानों की (कबाड़ी वालों के यहाँ) विदाई कराकर उस घर में सुख—शांति लाने का प्रयास सफल रहा है। कई सामानों की सीएनएफ कं. के गोदाम में जाना पड़ा। उनके गौदामों में कंपनी से रिप्लेसमेंट के लिए सामान रखे हुए थे रिप्लेस्मेंट का सामान टूटा—फूटा,लीकेज वाला था मैंने उस सामान को गोदाम से हटाने के लिये कहा—सामान हटने के साथ—साथ ही उनके व्यापार में सकारात्मक परिवर्तन का आरंभ हो गया। कई पैक्ट्रियों में भी बेकार के सामान का इकट्ठा करने या हो जाने से पैक्ट्रियों के काम में रूकावटें आना चालू हो जाती है। कहने का उद्देश्य है घर, पैक्ट्री, दुकान, गोदाम इत्यादि की सफाई पूर्ण रूप से रखनी चाहिये । जो सामान प्रयोग में न आने वाला हो या भविष्य में प्रयोग में आने की उम्मीद न हो उसे तत्काल विदा कर देना चाहिए। उसकी कीमत कम—ज्यादा मिलती हो तो भी उसका ध्यान नहीं रखते हुए हटा देना चाहिए। नीतिकारों का वचन है— जहाँ सफाई रहती है वहाँ आदमी मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। आचार्य चाणक्य ने लिखा है— जहां पर गंदगी होती है वहाँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता है। सुजान पुरुषों को उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुये घर में सुख—शांति, समृद्धि लाने का सफल प्रयोग करना चाहिए।