ग्राहवती, हृदवती व पंकवती ये तीन विभंग नदियाँ नील पर्वत से निकल कर सीता महानदी को प्राप्त हुई हैं इनका अवस्थान वक्षारों के मध्य में है। पूर्व की ओर से निषध पर्वत से निकल कर तप्त जला, मत्तजला, उन्मत्तजला नदियाँ सीता नदी में प्रविष्ट हुई हैं। ये छह विभंग नदी पूर्व विदेह में हैं।
क्षीरोदा, सीतोदा एवं स्रोतोवाहिनी ये तीन विभंग नदियाँ निषध पर्वत से निकल कर सीतोदा महानदी में प्रविष्ट होती हैंं। गंधमालिनी, फेनमालिनि व ऊर्मिमालिनि ये तीन विभंग नदियाँ पश्चिम की ओर से नील पर्वत से निकल कर अपर विदेहोें से होती हुई सीतोदा नदी को प्राप्त हुई हैं। इन बारह नदियों का वर्णन रोहित नदी के समान है इनमें से प्रत्येक की परिवार नदियाँ अट्ठाइस हजार प्रमाण हैं। ये नदियाँ स्वर्णमय सोपानों से सहित, सुगंधित जल से परिपूर्ण उपवन, वेदी, तोरणों से संयुक्त, लहरों से चंचल, तोरण द्वारों के उपरिम भाग में स्थित जिन भवनों से युक्त, शोभित होती हैं। सब विभंग नदियों का विस्तार अपने-अपने कुण्ड के पास उत्पत्ति स्थान में पचास कोस और प्रवेश स्थान में पाँच सौ कोस प्रमाण है।