कुत्ते के काटने का उपचार —कंटीली चौलाई जड़ समेत पीस लें। फिर चटनी की तरह चाटते हुए घी मिला दूध पीते रहें। एक—एक घंटे बाद यही प्रक्रिया दोहरायें। कुत्ते के दांत वाले स्थान पर गाय के गरम घी से भीगी पट्टी रखें।
विष विकार उपचार— बार—बार दूध घी पिलायें और उल्टी करायें । घी में नमक मिलाकर मालिस करें। कानों में भी गुनगुना घी डालें।
मलेरिया उपचार:— मलेरिया होने पर ५ मुनक्के, ५ किशमिश और दस ग्राम सोंठ का चूर्ण दूध में डालकर उबालें । प्रात: दूध सहित सेवन करें। पुराना मलेरिया भी ठीक हो जाता है।
गाय का दूध—१. गाय का दूध मनुष्य के लिए माता के दूध के समान हैं। २. मेघा शक्ति को निखारता है। ३. आयुवद्र्धक है। ४. हृदय रोगियों के लिए लाभदायक हैं। ५. यह पित्तनाशक है। ६. कफज है, परन्तु पिप्पली युक्त गरम दूध कफ का नाश करता है। ७. नेत्र ज्योति वद्र्धक है। ८. पौरुष में वृद्धि करता है और संतानोत्पत्ति का श्रेष्ठ उपचार है। ९. यौवन का स्थायित्व, बचपन का विकास, और बुढ़ापा दूर करता है। १०. गाय का घी समस्त प्रकार के विष विकारों को नष्ट करने में समर्थ है।
बकरी का दूध— रक्त विकार और संक्रामक रोगों में लाभकारी होता है।
भेड़ का दूध— १. वात रोगों का नाशक है। २. मधुमेह और पथरी जैसे रोगों में लाभदायक है। ३. उष्ण होता है तथा चोट में हितकारी है।
भैंस का दूध— १. यह अधिक चिकनाई युक्त होता है अत: मोटापा बढ़ाने में उपयोगी होता है। २. नेत्रों के लिए हानिकारक होता है । ३. अनिद्रा को दूर करने में श्रेष्ठतम होता है।
घोड़ी का दूध— १. यह खटास युक्त लवण रस लिए होता है। २. श्वास रोगों में अत्यधिक लाभदायी है। ३. शोध दूर करने में उपयोगी होता है। ४. पौरुष वर्ध्दक है और नपुंसकता दूर करने में उपयोगी है।
ऊँटनी का दूध— १. खूनी बवासीर में अत्यधिक उपयोगी होता है।
लू लगना— उपचार — धनिये के कुछ दाने लेकर पीस लें। फिर उन्हें पानी में घोलकर जरा सा बूरा और जरा सा नमक मिलाकर रोगी को बार—बार पिलायें।
पेट दर्द— लक्षण:— खट्टी डकारें आना, जी मिचलाना, भोजन न पचना, पेट में वायु का प्रयोग, अफरा, कब्ज आदि के लक्षण दिखते हैं।
उपचार:— १. अजवायन, दालचीनी, हींग और जीरा आधा—आधा चम्मच लेकर पीस लें। इसमें एक चुटकी नमक मिलायें। इस चूर्ण को दो खुराक करें और गरम पानी से लें। पेट दर्द ठीक हो जायेगा। २. देशी कपूर ५ ग्राम, अजवायन १० ग्राम, पुदीना १० ग्राम तथा दो चुटकी सेंधा नमक इन सबकों पीसकर कपड़े में छानकर एक शीशी में भर लें। इसका आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन खाने के बाद सेवन करें।
अम्ल पित्त— उपचार — मट्ठे को भुने जीरे, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक के साथ छोंक लें। भोजन के बाद इस मटठे का सेवन करें तो आपको अवश्य ही आराम मिलेगा।
अग्नि मांध— लक्षण — पेट में वायु अधिक बनती है। पेट भरा—भरा रहता है । अपान वायु तथा मुंह से वायु की डकारें बहुत आती है। वायु निकल नहीं पाती है तो ऊपर चढ़ती है और दिल पर दबाव डालती है। उपचार १. १० ग्राम भुनी सोंफ, १० ग्राम कच्ची सोंफ, दोनों को मिलाकर पीस लें। इसमें से दो चम्मच चूर्ण मठे के साथ सेवन करें। २. लवण भास्कर चूर्ण का आधा चम्मच लेकर उसमें जरा सा कपूर मिला लें और इस चूर्ण को सुबह—शाम गुनगुने पानी से रोगी को दें तो रोगी को आराम मिलेगा।
वमन— उपचार — सबसे पहले रोगी को पानी उबालकर ठंडा करके उसमें जरा सा सेंधा नमक और जरा सी शक्कर मिलाकर पिलाना चाहिए।
पेट में कीड़े
उपचार — बाय बिडिंग पीसकर रात को सोते समय पानी के साथ लें। पेट के सभी कृमि निकल जायेंगे। खुराक — बच्चों को दो दाने और बड़ों को छ: दाने देने चाहिए।
बवासीर
उपचार — आंवले का चूर्ण एक चम्मच और जरा सा सेंधा नमक लेकर दही या मट्ठे के साथ सेवन करने से फायदा मिलता है।
जलोदर
उपचार— १. बथुए के साग का रस आधा कप, जरा सा नमक मिलाकर सेवन करें। बथुआ जलोदर के रोगियों को बहुत ही फायदेमंद है। २. खरबूजे में सेंधा नमक लगाकर खायें ।
स्नायु रोग
चक्कर आना — जब कभी हमारे दिमाग में खून पूरी मात्रा में नहीं पहुँचता तो चक्कर आने लगते हैं। पेट में अजीर्ण, खून की कमी से भी चक्कर आते हैं। उपचार— १. दो चम्मच सुखा धनियाँ, दो चम्मच बूरा तथा एक चुटकी नमक । तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें । इसे फांक कर ऊपर से पानी पी लें। चक्कर बंद हो जायेंगे। २. काली मिर्च का चूर्ण आधा चम्मच, घी एक चम्मच, सेंधा नमक आधा चम्मच तीनों को मिलाकर खाने से चक्कर जाते रहते हैं।
आधाशीशी
उपचार— नमक और नौसादर मिलाकर शीशी में भर लें। फिर इसे धीरे—धीरे सूंघें आधाशीशी ठीक होती है।
शरीर सुन्न हो जाना
उपचार— चोप चीनी १० ग्राम, पिपला मूल २ ग्राम तथा सेंधा नमक तीन ग्राम मिलाकर चूर्ण बना लें। एक छोटे चम्मच की मात्रा में सुबह तथा रात को दूध के साथ सेवन करें। नोट— वायु उत्पन्न करने वाले पदार्थ जैसे चना, बेसन, मटर, आम, अमरूद, चावल, दूध आदि सेवन न करें।
मिरगी
उपचार— तुलसी की पत्तियों को कुचलकर उसमें जरा सा कपूर और जरा सा सेंधा नमक और एक गिलास पानी में मिलाकर पिलायें तो मिरगी में अवश्य लाभ मिलेगा।
स्मरण शक्ति की कमी
उपचार— १. खरबूजे के बीज करीब ५० ग्राम को छीलकर तवे पर देशी घी डालकर भूनें। फिर उसमें जरा सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें। इससे आपकी स्मरण शक्ति बढ़ेगी। २. तीन चार खजूर रोज दूध में औटाकर सेवन करने से स्मरण शक्ति बढती है।
दाँत, कान, नाक व गले के रोग
दाँत के रोग— दाँतों में पायरिया लग जाता है तो मधुमेह, पीलिया, पेट के विकार, आदि उत्पन्न हो जाते हैं। मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। तथा मुंह में दुर्गन्ध आने लगती है रोग यदि पुराना हो जाता है तो सारे दाँत हिलकर गिर पड़ते हैं। उपचार १. नाग केसर, लोध्र, लाल चंदन, सेंधा नमक, मुलहठी तथा फिटकरी सबको दस—दस ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का मंजन करें। २. राई के चूर्ण में सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मंजन करें। लाभ होगा।
कान दर्द
कान में दर्द हो, बह रहा हो, कान में सू—सू की आवाज आती हो, लगता हो जैसे घंटियाँ बज रही हैं। रोगी को लगता है जैसे कान बहरा हो गया है तो
उपचार— १.अदरक का रस तथा जरा सा सेंधा नमक मलाकर कान में तपकायें।
२. कान में कीड़ा चला जाए तो पानी में जरा सा सेंधा नमक डालकर कान में डालें और कान को जमीन की तरफ कर दे। कीड़ा निकल जायेगा।
नाक के रोग
उपचार १. नाक में फुसी होने पर छोटी इलायची तथा कपूर दोनों को पीस कर घी में मिलाकर मलहम बनाकर लगायें।
२. नाक में सूजन, दर्द, पीनस घाव,फुसी हो तो तुलसी के पत्तों की चटनी बनाकर जरा से देशी घी में मिलाकर लगायें। ठीक होगी।
गले में सूजन (टोंसिल हो तो)
उपचार
१. थोड़ी सी मुल्हठी, थोड़ी सी बायबिडिंग और एक चुटकी सेंधा नमक तीनों को मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें और रख दें। गुनगुना रहने पर निथार कर गरारे करें। गला ठीक हो जायेगा।
२. अनन्नास के रस में जरा सा नमक डालकर घूँट—घूँट करके पीयें। फायदा होगा।