-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
-बसंततिलका छंद-
शांतिं करोतु भगवन्! जगतां जनानां।
शांतिं करोतु भगवन्! प्रतिपालकानां।।
शांतिं करोतु भगवन्! जिनशासकानां।
शांतिं करोतु भगवन्! हितकारकाणां।।१।।
-अनुष्टुप्-
विश्वशांतिं समृद्धिं च, कुर्वन्तु परमेश्वरा:।
येषां स्मरणमात्रेण, शान्तिर्भवति सर्वदा।।२।।
यत्र सर्वोच्चमूर्ति: स्यात्-यत्र माता तपस्विनी।
तत्र जैनेन्द्रवाणी तु, सदा भूयात् यशस्विनी।।३।।
चतुर्वेदानुयोगानां, स्वाध्यायात् यत्फलं भवेत्।
ज्ञानमत्यार्यिकामातु:, दर्शनात्तत्फलं लभेत्।।४।।
ज्ञानमत्यार्यिका माता, गणिन्यां प्रमुखा कलौ।
नमस्तस्यै सरस्वत्यै, ज्ञानमूर्त्यै नमो नम:।।५।।
तर्ज-भावना दिनरात मेरी…….
प्रार्थना भगवान! तुमसे सब सुखी संसार हो।
प्रार्थना भगवान! तुमसे जग में शांति अपार हो।।
प्रार्थना हे नाथ! विश्व की भावनाएं उदार हो।
प्रार्थना है हर हृदय अध्यात्म का भंडार हो।।