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विश्वशांति की ज्योति जली!
June 18, 2020
भजन
jambudweep
विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली।
तर्ज—ज्योति से ज्योति जलाते चलो……
विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के, द्वारा अहिंसा की ज्योति जली।। टेक.।।
धर्म और विज्ञान ने धरती का, सदैव शृंगार किया।
इक दूजे के पूरक बनकर, नामों को साकार किया।।
दोनों की जोड़ी है लगती भली, विश्वशांति की ज्योति जली।।१।।
कलियुग में विज्ञान ने अपना, धर्म से नाता तोड़ लिया।
अणुबम एटमबम निर्मित कर, मानवता को छोड़ दिया।।
इसीलिए गुरुओं की प्रेरणा मिली, विश्वशांति की ज्योति जली।।२।।
बिन लगाम का घोड़ा जैसे, आतंकी बन जाता है।
बिना धर्म के वैसे ही, विज्ञान भी धोखा खाता है।।
इसीलिए दोनों की जोड़ी बनी, विश्वशांति की ज्योति जली।।३।।
शांतीवर्ष दो हजार नौ, शांतिदूत बनकर आया।
मैत्री का संदेश ‘‘चंदनामती’’ सभी ने तब पाया।।
गूंजे अहिंसा की जय हर गली, विश्वशांति की ज्योति जली।।४।।
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