आरति करो रे, श्री विषापहार मण्डल विधान की आरति करो रे।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे।।श्री विषापहार.।।टेक.।।
जिस स्तोत्र के अतिशय से, सर्पादिक के विष दूर भगे।
जिस स्तोत्र के पढ़ने से, सम्यग्दर्शन की ज्योति जगे।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
सम्यक्त्व सहित प्रभु भक्तिधाम की आरति करो रे।।१।।
कवी धनंजय के सुत को इक दिन इक सांप ने काट लिया।
इस स्तोत्र की रचना से कविवर ने वह विष शांत किया।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
इस चमत्कारि स्तोत्र पाठ की आरति करो रे।।२।।
चालिस छन्दों में जिनवर श्री ऋषभदेव को वंदन है।
भव-भव के कर्मों का विष अपहरने में जो सक्षम हैं।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
विष अपहर्ता श्री ऋषभदेव की आरति करो रे।।३।।
गणिनी माता ज्ञानमती ने, इसका एक विधान रचा।
एक-एक पद के मंत्रों में, देखो कितना सार भरा।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
तनु रोग विनाशक शक्तिधाम की आरति करो रे।।४।।
एक दिवस में इस विधान को, करके आतमलाभ करो।
चालिस दिन तक भी करके, ‘‘चंदनामती’’ फल प्राप्त करो।।
आरति करो, आरति करो, आरति करो रे,
प्रभु ऋषभदेव के गुण निधान की आरति करो रे।।५।।