प्रश्न १ – आचार्यश्री वीरसागर जी का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर – आचार्यश्री का जन्म महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले के ‘वीर’ नामक ग्राम में हुआ था।
प्रश्न २ -आचार्यश्री वीरसागर जी का जन्म कब हुआ?
उत्तर-वि.सं. १९३३, ईसवी सन् १८७६ में, आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा के दिन।
प्रश्न ३ – आचार्यश्री वीरसागर जी के माता-पिता का नाम बताओ?
उत्तर – माता श्री भाग्यवती जी एवं पिता श्रेष्ठी श्री रामसुख जी थे।
प्रश्न ४ – आचार्यश्री के बचपन का क्या नाम था?
उत्तर – श्री हीरालाल जैन।
प्रश्न ५ – श्री हीरालाल जी का विवाह हुआ था या नहीं?
उत्तर – ये बाल ब्रह्मचारी थे। इन्होंने विवाह नहीं किया था।
प्रश्न ६ – आपने सप्तम प्रतिमा के व्रत किससे, कब और कहाँ लिए?
उत्तर – वि.सं. १९७८, सन् १९२१ में ऐलक श्री पन्नालाल जी से नांदगांव में चातुर्मास में सप्तम प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए।
प्रश्न ७ – ब्र. हीरालाल जी ने क्षुल्लक दीक्षा कब और किससे ली?
उत्तर – वि.सं. १९८० सन् १९२३, फाल्गुन शुक्ला सप्तमी को चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी से क्षुल्लक दीक्षा प्राप्त की।
प्रश्न ८ – क्षुल्लक दीक्षा के बाद ब्र. हीरालाल जी व ब्र. खुशालचंद जी किस नाम से प्रसिद्ध हुए?
उत्तर – ब्र. श्री हीरालाल जी क्षुल्लक श्री वीरसागर व ब्र. श्री खुशालचंद जी क्षुल्लक चन्द्रसागर जी के नाम से प्रसिद्ध हुए।
प्रश्न ९ – क्षुल्लक वीरसागर जी की मुनि दीक्षा कब और कहाँ हुई?
उत्तर – वि.सं. १९८१, सन् १९२४ में समडोली ग्राम में मुनिदीक्षा हुई।
प्रश्न १० – चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के प्रथम मुनि शिष्य कौन थे?
उत्तर – बा. ब्र. मुनि श्री १०८ वीरसागर जी महाराज।
प्रश्न ११ – मुनि श्री वीरसागर जी ने अपने गुरु के साथ कितने चातुर्मास किए?
उत्तर – गुरु के साथ १२ चातुर्मास किए-१. श्रवणबेलगोला २. कुम्भोज ३. समडोली ४. बड़ी नांदनी ५. कटनी ६. मथुरा ७. ललितपुर ८. जयपुर ९. ब्यावर १०. प्रतापगढ़ ११. जयपुर १२. दिल्ली।
प्रश्न १२ – आचार्य वीरसागर का गुरु से पृथव् प्रथम चातुर्मास कहाँ हुआ?
उत्तर –वि.सं. १९९२ सन् १९३५ में गुजरात प्रान्त के ईडर नगर में प्रथम चातुर्मास हुआ।
प्रश्न १३ – आचार्यश्री वीरसागर जी के पट्टाचार्य कौन हुए?
उत्तर –आचार्यश्री शिवसागर जी महाराज।
प्रश्न १४ – आचार्यश्री वीरसागर जी के प्रथम मुनिशिष्य कौन हुए?
उत्तर – आचार्य श्री शिवसागर जी महाराज।
प्रश्न १५ – समाधि से पूर्व चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री ने अपना पद किसको प्रदान किया?
उत्तर – अपने सुयोग्य शिष्य श्री वीरसागर जी महाराज को पत्र लिखकर आचार्यपद प्रदान किया।
प्रश्न १६ – श्री वीरसागर जी महाराज को आचार्यपद कब और कहाँ प्रदान किया गया?
उत्तर – भाद्रपद कृष्णा सप्तमी, गुरुवार को जयपुर-खानियां जी में चतुर्विध संघ व हजारों की संख्या में प्रदान किया गया।
प्रश्न १७ – आचार्यश्री के जीवन की मुख्य दो सूक्ति जो सदैव कहते थे?
उत्तर – १. जीवन में सदैव सुई का कार्य करों, केची का नहीं। २. तृण मत बनो, पत्थर बनो।
प्रश्न १८ – आचार्यश्री वीरसागर जी महाराज की प्रमुख बालब्रह्मचारिणी शिष्या का नाम बताओ?
उत्तर – परमपूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी।
प्रश्न १९ – आचार्यश्री वीरसागर जी की सल्लेखना कब हुई?
उत्तर – वि.सं. २०१४ (सन् १९५७ में) आश्विन कृष्णा अमावस्या को खानियां-जयपुर (राज.) में चतुर्विध संघ के सानिध्य में।
प्रश्न २० – वर्तमान में आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज से संबंधित क्या मनाया जा रहा है?
उत्तर – आचार्यश्री वीरसागर वर्ष।
प्रश्न २१ – यह वर्ष कब से प्रारंभ हुआ है?
उत्तर –आसोज शु. पूर्णिमा, ११ अक्टूबर २०११ से।
प्रश्न २२ – कब तक यह वर्ष मनाया जायेगा?
उत्तर –आश्विन शुक्ला पूर्णिमा, २९ अक्टूबर २०१२ तक।
प्रश्न २३ – इस वर्ष को मनाने की प्रेरणा किनने प्रदान की?
उत्तर – पूज्य आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज की प्रमुख शिष्या गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने।
प्रश्न २४ – इस वर्ष को मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर – जन-जन को आचार्यश्री के स्वर्णिम व्यक्तित्व से परिचित कराना ही इस वर्ष का प्रमुख उद्देश्य है।
प्रश्न २५ – हम श्रावकों को इसके अन्तर्गत क्या करना है?
उत्तर – अपने-अपने गाँव-नगर में आचार्यश्री के जीवन से संबंधित संगोष्ठी, प्रश्नमंच, भाषण प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता आदि का आयोजन तथा वीरसागर विधान, पूजन, चालीसा, भजन, आरती आदि करके अपनी गुरुभक्ति का परिचय प्रदान करना है।