दस हजार वर्ष प्रमाण आयु का धारक प्रत्येक व्यंतर देव १०० मनुष्यों को मारने व पालने के लिए समर्थ है एवं १५० धनुष प्रमाण विस्तार व मोटाई से युक्त क्षेत्र को अपनी शक्ति से उखाड़ कर अन्यत्र फेंकने की सामर्थ्य रखता है।
एक पल्य प्रमाण आयु का धारक व्यंतरदेव अपनी भुजाओं से छह खण्डों को उलट सकता है व उसमें स्थित लोगों को मारने व पालने में भी समर्थ है।
दस हजार वर्ष की आयु का धारक व्यंतरदेव उत्कृष्ट रूप से १०० रूपों की और जघन्य रूप से ७ रूपों की विक्रिया कर लेता है और मध्यम रूप से १०० से नीचे-नीचे विविध प्रकार की विक्रिया करता है। बाकी के व्यंतरवासी देवों में से प्रत्येक देव अपने-अपने अवधिज्ञानों का जितना क्षेत्र है उतने मात्र क्षेत्र को विक्रिया बल से पूर्ण कर सकते हैं।
संख्यात वर्ष प्रमाण आयु के धारक व्यंतर देव एक समय में संख्यात योजन और असंख्यात वर्ष की आयु से युक्त देव असंख्यात योजन तक जा सकते हैं।