किन्नर किंपुरुष आदि व्यंतर देवों संबंधी तीनों प्रकार के (भवन, भवनपुर, आवास) भवनों के सामने एक-एक चैत्य वृक्ष है। यथा-
किन्नरों के भवनों के सामने – अशोक वृक्ष
किंपुरुषों के भवनों के सामने – चंपक वृक्ष
महोरग के भवनों के सामने – नागद्रुम वृक्ष
गन्धर्व के भवनों के सामने – तुंबरू वृक्ष
यक्ष के भवनों के सामने – न्यग्रोध-वट वृक्ष
राक्षस के भवनों के सामने – कंटक वृक्ष
भूत के भवनों के सामने – तुलसी वृक्ष
पिशाच के भवनों के सामने – कदंब वृक्ष
ये सब चैत्यवृक्ष भवनवासी देवों के चैत्यवृक्षों के सदृश अनादि-निधन हैं, इनके मूल में चारों ओर चार तोरणों से शोभायमान चार-चार जिनेन्द्र प्रतिमायें विराजमान हैं। पल्यंकासन से स्थित, प्रातिहार्यों से सहित दर्शन मात्र से ही पाप समूह को दूर करने वाली ये जिनेन्द्र प्रतिमायें भव्यजीवों को मुक्ति प्रदान करने वाली हैं।