व्यंतर देवों के उत्कृष्ट भवनों का विस्तार – १२००० योजन
व्यंतर देवों के उत्कृष्ट भवनों की मोटाई – ३०० योजन
व्यंतर देवों के उत्कृष्ट भवनपुरों का विस्तार – ५१००००० योजन
व्यंतर देवों के उत्कृष्ट भवन आवासों का विस्तार – १२२००० योजन
व्यंतर देवों के जघन्य भवनों का विस्तार – २५ योजन
व्यंतर देवों के जघन्य भवनों की मोटाई – ३/४ योजन
व्यंतर देवों के जघन्य भवनपुरों का विस्तार – १ योजन
व्यंतर देवों के जघन्य आवासों का विस्तार – ३ कोस
कूट, जिनेन्द्र भवन, देवप्रासाद, वेदिका, वन आदि रचनाएँ भवनों के सदृश ही भवनपुरों और आवासों में भी मानी गई हैं।