[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर लोक –Vyaintara Loka. The world of peripatetic deities. चित्रा और व्रजा पृथिवी की मध्यसंधि से लगाकर मेरु पर्वत की ऊंचाई तक तथा तिर्यकृ लोक के विस्तार प्रभाव लम्बे – चौड़े क्षेत्र को व्यंतर लोक कहते है जहाँ व्यंतरदेवो के भवन, भवनपुर और आवास होते हैं “