नंदीश्वर व्रत (आष्टाह्निक व्रत) जाप्य मंत्र
(१) ॐ ह्रीं नन्दीश्वरसंज्ञाय नम: (२) ॐ ह्रीं अष्टमहाविभ्ूातिसंज्ञाय नम:
(३) ॐ ह्रीं त्रिलोकसारसंज्ञाय नम: (४) ॐ ह्रीं चतुर्मुखसंज्ञाय नम:
(५) ॐ ह्रीं पञ्चमहालक्षणसंज्ञाय नम: (६) ॐ ह्रीं स्वर्गसोपानसंज्ञाय नम:
(७) ॐ ह्रीं श्री सिद्धचक्राय नम: (८) ॐ ह्रीं इन्द्रध्वजसंज्ञाय नम:।
रविव्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं अर्हं श्रीपार्श्वनाथाय नम:।
सोलहकारण व्रत जाप्य मंत्र-
१. ॐ ह्रीं अर्हं दर्शनविशुद्धिभावनायै नम: २. ॐ ह्रीं अर्हं विनयसंपन्नता-भावनायै नम: ३. ॐ ह्रीं अर्हं शीलव्रतेष्वनतिचारभावनायै नम: ४. ॐ ह्रीं अर्हं अभीक्ष्णज्ञानोपयोग भावनायै नम: ५. ॐ ह्रीं अर्हं संवेगभावनायै नम: ६. ॐ ह्रीं अर्हं शक्तितस्त्यागभावनायै नम: ७. ॐ ह्रीं अर्हं शक्तितस्तपोभावनायै नम: ८. ॐ ह्रीं अर्हं साधुसमाधिभावनायै नम: ९. ॐ ह्रीं अर्हं वैयावृत्यकरणभावनायै नम:
१०. ॐ ह्रीं अर्हं अर्हद्भक्तिभावनायै नम: ११. ॐ ह्रीं अर्हं आचार्यभक्तिभावनायै नम: १२. ॐ ह्रीं अर्हं बहुश्रुतभक्तिभावनायै नम: १३. ॐ ह्रीं अर्हं प्रवचनभक्ति-भावनायै नम: १४. ॐ ह्रीं अर्हं आवश्यकापरिहाणिभावनायै नम: १५. ॐ ह्रीं अर्हं मार्गप्रभावनाभावनायै नम: १६. ॐ ह्रीं अर्हं प्रवचनवत्सलत्वभावनायै नम: ।
दशलक्षणव्रत जाप्य मंत्र-
१. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमक्षमाधर्माङ्गाय नम:
२. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तममार्दवधर्माङ्गाय नम:
३. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमआर्जवधर्माङ्गाय नम:
४. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमसत्यधर्माङ्गाय नम:
५. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमशौचधर्माङ्गाय नम:
६. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमसंयमधर्माङ्गाय नम:
७. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमतपोधर्माङ्गाय नम:
८. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमत्यागधर्माङ्गाय नम:
९. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमआकिंचन्यधर्माङ्गाय नम:
१०. ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्गताय उत्तमब्रह्मचर्यधर्माङ्गाय नम:
पंचमेरु व्रत जाप्य मंत्र-
१. ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुसंबंधिषोडशजिनालयेभ्यो नम:
२. ॐ ह्रीं विजयमेरुसंबंधिषोडशजिनालयेभ्यो नम:
३. ॐ ह्रीं अचलमेरुसंबंधिषोडशजिनालयेभ्यो नम:
४. ॐ ह्रीं मंदरमेरुसंबंधिषोडशजिनालयेभ्यो नम:
५. ॐ ह्रीं विद्युन्मालिमेरुसंबंधिषोडशजिनालयेभ्यो नम:
आकाश पंचमी व्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वृषभादिचतुा\वशतितीर्थंकरेभ्यो यक्षयक्षीसहितेभ्यो नम:।
निर्दोष सप्तमी व्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रां ह्रीं सर्वविघ्ननिवारकाय श्रीशांतिनाथस्वामिने नम: स्वाहा।
सुगंधदशमीव्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय नम:।
रत्नत्रय जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नम:।
अनंतचतुर्दशी व्रत जाप्य मंत्र-
१. ॐ ह्रीं अर्हं हं स अनंतकेवलिने नम:।
२. ॐ ह्रीं नमोऽर्हते भगवते अणंताणंतसिज्झधम्मे भगवतो महाविज्जा-महाविज्जा अणंताणंतकेवलिए अणंतकेवलणाणे अणंतकेवलदंसणेअणु-पुज्जवासणे अणंते अणंतागमकेवली स्वाहा।
रोहिणीव्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं वासुपूज्यजिनेन्द्राय नम:।
मुक्तावली व्रत जाप्य मंत्र–
ॐ ह्रीं वृषभजिनाय नम:।
णमोकार व्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं, ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ ह्रूं णमो आइरियाणं, ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं, ॐ ह्र: णमो लोए सव्वसाहूणं।
जिनगुणसंपत्ति व्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं त्रिषष्टिजिनगुणसंपद्भ्यो नम:।
सप्तपरमस्थान व्रत जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं परमब्रह्मणे सप्तपरमस्थानाय नम:।
ऋषिमण्डल जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रां ह्रिं हुं्र ह्रूं ह्रें ह्रैं ह्रौं ह्र: असिआउसा सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्य: ह्रीं नम:।
सिद्धचक्र जाप्य मंत्र-
ॐ ह्रीं अर्हं असिआउसा नम:।
शांति मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथाय जगत्शांतिकराय सर्वोपद्रवशांतिम् कुरु कुरु ह्रीं नम:।
आरोग्य प्राप्ति मंत्र-
ॐ ह्रीं अर्हं णमो सव्वोसहिपत्ताणं।
कार्यसिद्धि मंत्र-
ॐ ह्रीं अर्हं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय नम:
ॐ ह्रंीं श्री ऋषभदेवाय सर्वसिद्धिकराय सर्वसौख्यं कुरु कुरु ह्रीं नम:।
अयोध्या तीर्थक्षेत्र मंत्र-
ॐ ह्रंीं अनंतानंततीर्थंकरजन्मभूमिअयोध्यापुर्यै नम:।
सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र मंत्र-
ॐ ह्रीं अनंतानंततीर्थंकरनिर्वाणभूमिसम्मेदशिखरसिद्धक्षेत्राय नम:।