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शरदपूर्णिमा का दिन आया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया
June 16, 2020
भजन
jambudweep
शरदपूर्णिमा का दिन
तर्ज—दीदी तेरा देवर……
शरदपूर्णिमा का दिन आया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।
सबको ज्ञान अमृत पिलाया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।।टेक.।।
अवधप्रान्त के इक टिकैतनगर में, पिता छोटेलाल व मोहिनि के घर में।
आश्विन सुदी पूर्णिमा शुभ तिथी में, रात्री को नौ बज के पन्द्रह मिनट पे।।
पहला चाँद घर में था आया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।।१।।
नानी से ‘मैना’ यह शुभ नाम पाकर, बचपन से यौवन की बगिया में आई।
खिला पुष्प माली को सौंपा न तुमने स्वयं अपने फूलों की बगिया सजाई।।
पहला जो इतिहास बनाया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।।२।।
इसी पूर्णिमा को किया त्याग गृह का, फिर दीक्षा ले बन गई गणिनी माता।
ये ‘‘चन्दनामति’’ साहित्य वारिधि, तीर्थों की उद्धारिका ज्ञानदाता।।
‘‘डी.लिट्.’’ पद का गौरव बढ़ाया, माँ ज्ञानमती ने जनम पाया।।३।।
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