देवकुरु क्षेत्र के भीतर निषध पर्वत के उत्तर पार्श्वभाग में विद्युत्प्रभ पर्वत से पूर्व दिशा में, सीतोदा नदी की पश्चिम दिशा में और मंदरगिरि के नैऋत्य भाग में रमणीय रजतमय शाल्मली वृक्षों का स्थल है। इस स्थल, पीठ वेदिका आदि का वर्णन जम्बू वृक्ष के वर्णन के समान है। इस मुख्य शाल्मली वृक्ष की दक्षिण शाखा पर जिन भवन स्थित हैं एवं तीनों शाखाओं के ऊपर स्थित प्रासादों पर वेणु और वेणुधारी देव रहते हैं। इनके परिवार वृक्ष भी एक लाख चालिस हजार एक सौ उन्नीस प्रमाण हैं। ये देव सम्यग्दर्शन से शुद्ध और सम्यग्दृष्टियों से प्रेम करने वाले हैं। प्रत्येक की आयु एक पल्य एवं शरीर की ऊँचाई दस धनुष है।
इन शाल्मली वृक्षों के भी प्रत्येक भवनों में जिन भवन स्थित हैं।