बत्तीसों विदेहों में हमेशा ही चतुर्थकालवत् रहता है यहाँ काल परिवर्तन नहीं होता है। यहाँ के मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु एक कोटिपूर्व एवं शरीर की अवगाहना पाँच सौ धनुष प्रमाण होती है। यहाँ के म्लेच्छखंडों में भी चतुर्थ काल ही रहता है।