परम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी की सुविज्ञ लेखनी से नि:सृत इस पुस्तक मेंअनेक शास्त्रीय ,रोचक एवं ज्ञानवर्धक कथाएं हैं | लगभग १० कथानकों से समन्वित गागर में सागर और राई में पर्वत के समान इस अमूल्य कृति के माध्यम से आप सभी सुसंस्कारों से संस्कारित होकर अपने जीवन निर्माण में सफलता प्राप्त करें और महापुरुषों के जीवनवृत्त से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को कुंदन बनावें ऐसी अमूल्य कृतियों की प्रदात्री माताजी जयवंत हों यही शुभेच्छा है |