अंग्रेजों की गुलामी से हमारा देश १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्र हो गया था, परन्तु अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आज भी जकड़े हुए हैं क्योंकि हम अंग्रेजों को भारतीय शिक्षा पर उपकार करने वाला मान रहे हैं परन्तु वास्तविकता इससे विपरीत है। अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा पद्धति पर उपकार नहीं किया बल्कि भारत की समृद्ध शिक्षा पद्धति का विनाश कर दिया। १५ अगस्त १९४७ के उपरान्त श्रेष्ठ इतिहासकार प्रो. धर्मपाल ने महात्मा गाँधी जी से कहा कि मेरे लिए कोई कार्य बताइए। तब महात्मा गाँधी जी ने कहा— ‘‘मैं १९३१ में गोलमेज सम्मेलन में लन्दन गया था उस समय अंग्रेज अधिकारियों ने मुझसे कहा था—‘यदि अंग्रेज भारत नहीं आये तो भारत की शिक्षा व्यवस्था कभी बन नहीं पाती। मुझे यह बात सही नहीं लगी लेकिन मेरे पास इनको साबित करने को कोई प्रमाण नहीं है। मैं तुमसे उम्मीद रखता हूँ कि तुम भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में जितने संभव हो प्रमाण इकट्ठे करो और उसके आधार पर यह सही घोषित करो कि अंग्रेजों के आने से पहले की भारत की शिक्षा व्यवस्था कैसी थी ?’’ श्री धर्मपाल जी ने लन्दन, प्रन्स, जर्मनी देशों में जाकर ४० वर्ष तक अध्ययन अध्यापन किया तथा अनेक दस्तावेज इकट्ठे किये उनका विश्लेषण करने पर यह सिद्ध होता है कि ‘अंग्रेजों के आने के पहले की शिक्षा व्यवस्था बहुत ही अच्छी थी।’’ विलियम एडम जो कि मैकाले के बॉस थे। मैकाले भारत की शिक्षा व्यवस्था के विषय में जो खोज करता उसे विलियम एडम के लिए भेजता था। विलियम एडम ने भारत की शिक्षा व्यवस्था पर १७८० पन्नों का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तैयार करके अंग्रेजों की संसद—हाऊस ऑफ कामन्स में पेश की। २ फरवरी १८३५ को ब्रिटिश र्पिलयामेन्ट में मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर भाषण दिये एवं सांसदों के प्रश्नों के उत्तर भी दियें, ये सभी रिकॉर्ड के रूप में अभी तक सुरक्षित है।
मैकाले ने कहा
मैंने पूरा भारत देखा लेकिन भारत देश में कहीं भी किसी स्थान पर भिखारी देखने को नहीं मिला। सूरत शहर में जितनी सम्पत्ति है उतनी यूरोप में सभी शहरों की सम्पत्ति भी नहीं है। भारत में जितना भी धन वैभव सम्पत्ति है वह भारत की शिक्षा व्यवस्था के कारण है। भारत में लगभग शत- प्रतिशत साक्षरता है। दक्षिण भारत में साक्षरता १०० प्रतिशत है। दक्षिण भारत यानि कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु केरल। पश्चिम भारत में ९८ प्रतिशत है। उत्तर—भारत में लगभग ८२ प्रतिशत मध्य भारत में ८७ प्रतिशत साक्षरता है। मैं कह सकता हूँ, लगभग भारत साक्षर है। भारत में ७ लाख ३२ हजार रिवेन्यू वाले गांव है। और कोई भी गांव ऐसा नहीं है जहाँ स्कूल नहीं है। स्कूल को गुरूकुल कहा जाता है। सभी वर्गो को शिक्षा दी जाती है। एक गुरूकुल में २०० से लकर २०००० छात्र पढ़ते हैं। जिसमें मोनीटोरियम शिक्षण पद्धति है। गुरूकुलों में विद्या और शिक्षा दोनों प्रदान की जाती है। नैतिकता, आध्यात्मिकता, न्याय आदि को सिखाना विद्या है गणित, रसायन शास्त्र, विज्ञान आदि को सिखाना शिक्षा है। गुरुकूल ल में १८ विषय गणित, खगोलशास्त्र, धातु विज्ञान, कारीगरी (इन्जीनियिंरग) रसायन शास्त्र चिकित्सा शास्त्र आदि पढ़ाये जाते हैं एक विषय पूर्ण होने पर दूसरा विषय पढ़ाया जाता है। भारत में अभी (१८३५ में) १५८०० हायर स्टडीज सेन्टर अर्थात् विश्व विद्यालय हैं । ब्रिटेन के शिक्षा मंत्री ने कहा—‘भारत में अभी १०० प्रतिशत साक्षरता है और ब्रिटेन (आयरलैण्ड, स्काटलैण्ड एवं न्यू साऊथवेल्स तीनों का समूह) में १७ प्रतिशत से भी कम साक्षरता है। भारत में जब ७ लाख ३२ हजार से भी अधिक स्कूल हैं तब ब्रिटेन में मात्र २४० स्कूल हैं ।
चिकित्सा शास्त्र पद्धति
मैकाले ने बताया—कागड़ा विश्व विद्यालय (हिमाचल) सर्जरी शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। (जिसे राइनोप्लास्टी कहते हैं।) मैंने मेरी आँखों से देखा जिसमें पैर के हिस्से की चमड़ी निकालकर नाक में लगाई और वह २१ दिन में पूरी तरह ठीक हो गई। पता ही नहीं चला कि कोई आपरेशन हुआ है। हमारे यहाँ (इग्लैण्ड में) जब बुखार आता है और मैं डॉक्टर के यहाँ जाता हूँ तो वो हिप्पोव्रेटिस मेडीसन सिस्टम के अनुसार मेरे हाथ की नस काट देते, उसमें से खून निकलने लगता है। डॉक्टर कहता है ‘जब तक तुम्हारा दूषित खून नहीं निकलेगा तुम ठीक नहीं होगे।’ भारत में कुछ चूरन खिलाने से ही बुखार ठीक हो जाता है। मैटेलर्जी की शिक्षा गुरूकुलों में दी जाती है, बिना जंग का लोहा बनाने की तकनीक भारत से आयी है। वह आज भी देखना हो तो मेहरौली का स्तम्भ खड़ा है। —विलियम एडम के दस्तावेजों के अनुसार आन्ध्रप्रदेश में कावेरी नदी के पास विशाखापट्टनम से थोड़ा दूर तक गुरूकुल है जो कि सिविल इंजीनियिंरग का। इस गुरूकुल के आचार्यो व विद्र्यािथयों ने मिलकर सन् १२३८ में दुनिया का पहला बाँध बनाया। भारत में १८३५ में एक एकड़ में ५६ िंक्वटल चावल पैदा होता था। वर्तमान में कोई भी विश्व विद्यालय एक एकड़ में ३० क्वटल से ज्यादा धान उगाने की तकनीक विकसित नहीं कर पाया।
मैकाले ने और भी कहा
‘‘भारत को यदि गुलाम बनाना है तो इस शिक्षा व्यवस्था को जब तक हम नहीं तोड़ेंगे , तब तक भारत गुलाम नहीं बन सकता।’’ तब ब्रिटिश सरकार ने भारतीय शिक्षा अधिनियम के द्वारा संस्कृत एवं स्थानीय भाषा के द्वारा जो शिक्षा दी जाती थी उसे गैरकानूनी घोषित कर भारतीय शिक्षा पद्धति और गुरूकुलों को तहस – नहस कर दिया और अंग्रेजी की शिक्षा पद्धति के पहले अत्यधिक समृद्ध थी । १७ प्रतिशत साक्षर अंग्रेज १०० प्रतिशत साक्षर भारतीयों की शिक्षा व्यवस्था को तोड़कर चले गये। उनकी जिस शिक्षा पद्धति से विकसित भारत विकासशील देशों की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया । आज भी हम उसका अन्धानुकरण कर रहे हैं । जोकि अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। जब भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा दी जाती थी तब देश सर्वाधिक विकसित था। अब हमें प्राचीन भारतीय शिक्षा को पुन: व्यवहारिक रूप में क्रियान्वित करने की आवश्यकता है ।