(१) प्रश्न– कैसाउत्सव आया आज, क्यों धूम मची शिरडी में।
बतला दे बहना आज, क्यों धूम मची शिरडी में।।१।।वैâसा.।।
उत्तर- सुनले मेरी बहना आज, क्यों धूम मची शिरडी में।
देखो ज्ञानतीर्थ पर आज, पंचकल्याणक है शिरडी में।।१।।सुन ले.।।
(२) प्रश्न– है ज्ञान तीर्थ यह वैâसा ?, यहाँ मेला लगा है वैâसा ?।
क्या बात है इसमें खास ? क्यों धूम मची शिरडी में।।२।। वैâसा.।।
उत्तर- चिन्तामणि पार्श्व प्रभू जी, केतू ग्रह नाथ प्रभू जी।
उनकी मूर्ति विराजी आज, इसलिए धूम मची शिरडी में।।२।।सुन ले.।।
(३) प्रश्न– रे बहना मुझे बता दे, हर बात मुझे समझा दे।
क्या हो रहा यहाँ निर्माण, क्यों धूम मची शिरडी में।।३।।वैâसा.।।
उत्तर- यहाँ कमल का फूल खिलेगा, जो मंदिर रूप दिखेगा।
जहाँ विराजें पारसनाथ, दुखनाशक बन शिरडी में।।३।।सुन ले.।।
(४) प्रश्न– प्रेरणा मिली है किसकी, योजना कमल मंदिर की।
किसने बतलाई यह बात, क्यों धूम मची शिरडी में।।४।।वैâसा.।।
उत्तर- प्रेरणा मिली है जिनकी, महिमा क्या जानो उनकी।
वे हैं गणिनी प्रमुख महान, माता ज्ञानमती जी जग में।।४।।सुन ले.।।
(५) प्रश्न– क्या महिमा और है प्रभु की, बतला दे सखी पारस की।
क्यों यहाँ विराजे नाथ, क्यों धूम मची शिरडी में।।५।।वैâसा.।।
उत्तर- जो कालसर्प से पीड़ित, नर नारी को दुख भौतिक।
उनके होंगे सब दुख शान्त, प्रभु पारस की भक्ती से।।५।।सुन ले.।।
(६) प्रश्न– किस नगर में ये प्रभु जन्मे, क्या नाम पिता माता के।
इनने दीक्षा कहाँ ली जाय, क्यों धूम मची शिरडी में।।६।।वैâसा.।।
उत्तर- काशी में जन्म लिया था, पितु आश्वसेन माँ वामा।
तप कर लिया अश्ववन में जा, बन बालयती पारस ने।।६।।सुन ले.।।
(७) प्रश्न- कहाँ केवलज्ञान हुआ है, निर्वाण का धाम कहाँ है।
बतला दे बहना नाम, क्यों धूम मची शिरडी में।।वैâसा.।।७।।
उत्तर- अहिच्छत्र में ज्ञान हुआ था, वहीं समवसरण भी रचा था।
सम्मेदशिखर से शिव पद, पाया है पारस प्रभु ने।।सुन ले.।।७।।
(८) प्रश्न– इक प्रश्न सहज है उठता, प्रतिमा पर क्यों फण रहता ?
इस फण का क्या है राज, क्यों धूम मची शिरडी में।।८।।वैâसा.।।
उत्तर- कमठासुर ने पारस पर, उपसर्ग किया जब आकर।
आये नागयुगल बन देव, उपसर्ग निवारण करने।।सुन ले.।।
इक ने फण पर बैठाया, इक ने फण छत्र लगाया।
वही बनी पार्श्व पहचान, वही उत्सव है शिरडी में।।८।।सुन ले.।।
दोनोें मिलकर-
शिरडी में शुभ घड़ी आई, प्रभु पार्श्व की महिमा बताई।
समझो तुम भी यह बात, क्यों धूम मची शिरडी में।।९।।
उनका ही कमल का मंदिर, यहाँ बने जिनालय सुन्दर।
यह है ज्ञानतीर्थ विख्यात, तभी धूम मची शिरडी में।।१०।।
है पंचकल्याण उसी का, अतिशयकारी तीरथ का।
प्रभु तुम्हें बुलाएं आज, आओ ज्ञानतीर्थ शिरडी में।।११।।