श्रावक धर्म चार प्रकार का है- पूजन, दान, शील और उपवास।
देव, शास्त्र, गुरु की विधिवत् अष्टद्रव्यों से अर्चना ‘पूजन’ है।
अपने तथा अन्य के उपकार के लिए जो आहार आदि पदार्थों का त्याग किया जाता है, वह ‘दान’ है।
अपने ग्रहण किये गये व्रतों की रक्षा करना ‘शील’ है।
अष्टमी, चतुर्दशी, पंचमी आदि को पंचेन्द्रियों के विषय, कषाय तथा चारों प्रकार के आहार का त्याग करना ‘उपवास’ है। केवल जल ग्रहण करना ‘अनुपवास’ है और एक बार भोजन करना ‘एकाशन’ है।