-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ)
तर्ज – चांद मेरे आ जा रे………….
करो सब मिलकर आरतिया-२
किन्नर यक्ष हैं, अनन्तप्रभु के, सम्यग्दृष्टि देवा, करो सब मिलकर आरतिया।।टेक.।।
जो अनन्तप्रभु को सच्चे मन से नित उर में लाते।
मनवांछित फल को पाकर, जीवन को सुखी बनाते।।करो सब….।।१।।
वैरोटी यक्षी के तुम, प्रियकारक देव कहाए।
भय रोग शोक दुखनाशक, संकट को दूर भगाएं।।करो सब….।।२।।
हैं धर्मप्रभावन तत्पर, मंगलमय सब सुखदाता,
जिनभक्तों के हैं रक्षक, धन सुख सम्पत्ति प्रदाता।।करो सब….।।३।।
हे किन्नर देव हमारी, बस इक अभिलाषा पूरो।
शिवधाम प्राप्ति तक ‘इन्दू’ जिनधर्म में तत्पर रखो।।करो सब…..।।४।।