-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ)
तर्ज-मैं तो भूल चली………….
माता वैरोटी की सब आज मिलकर आरति करें।
जिनशासन की….जिनशासन की हैं रक्षिका, सब मिल आरति करें।।टेक.।।
चौदहवें तीर्थंकर जग में कहाए,
उन अनन्त प्रभुवर को जो मन में ध्याए,
उसकी मनवांछा पूरो तुम मात मिलकर आरति करें।।माता..।।१।।
किन्नर यक्ष की प्रियकारिणी हो,
माता अतुल शक्ति की धारिणी हो।
तुम हो संकटनिवारक मात मिलकर आरति करें।माता..।।२।।
हो सम्यग्दृष्टी तेरी छवि है प्यारी,
हर आशा पूरो तव आरति उतारी।
‘इन्दु’ जिनभक्ति करूं दिन रात, मिलकर आरति करें।माता..।।३।।